चुवत अन्हरवे अँजोर हो रामा चइत महिनवाँ॥
अमवा मउरि गइलें नेहिया बउरि गइलें
देहियाँ टूटेला पोरे पोर हो रामा चइत महिनवाँ॥१॥
उड़ि उड़ि मनवा छुवेला असमनवा
बन्हल पिरितिया के डोर हो रामा चइत महिनवाँ॥२॥
अँखिया न खर खाले निंदिया उचटि जाले
बगिया भइल लरकोर हो रामा चइत महिनवाँ॥३॥
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अंक - 76 (19 अप्रैल 2016)
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