
पलटूदास के दोहा
आपै आपको जानते, आपै का सब खेल। पलटू सतगुरु के बिना, ब्रह्म से होय न मेल॥1॥ पलटू सुभ दिन सुभ घड़ी, याद पड़ै जब नाम। लगन महूरत झूठ सब, और बिगाड़ै...
आपै आपको जानते, आपै का सब खेल। पलटू सतगुरु के बिना, ब्रह्म से होय न मेल॥1॥ पलटू सुभ दिन सुभ घड़ी, याद पड़ै जब नाम। लगन महूरत झूठ सब, और बिगाड़ै...
के आपन के आन बा, बहुत कठिन पहचान। आफति तक जे साथ दे, ओकरे आपन जान।।1।। झट दे निरनय जनि लिहीं, घिन आवे भा खीस। झुक जाए कब का पता, कट जाए कब...