भोजपुरी - प्रिंस रितुराज दुबे

भारत एगो अईसन देश हऽ जहवा फरका फरका पहिनावा, बोलचाल, धर्म आ सोच के लोग रहेला। बाकिर इ सबन के एकेगो चीज एक जईसन बा की उ लोग के पहचान भारत देश से होल। केहू देवनागरी लिपि से लिखे ला आपन भारतीय होखे के पहचान त केहू गुरुलिपि भा द्रविड़ से।
पाहिले भारत के पहचान संस्कृत से होत रहे आ संस्कृते अईसन भाखा ह जवना से खाली भरते ना दुनिया के कई गो भाषन के जनम भईल बा | वैदिक संस्कृत पाहिले ब्राह्मी लिपि में लिखल जात रहे अउर ब्राह्मी लिपि से कईगो लिपि के उद्भव भईल जे आजो उ भाषा आ लिपि आपन अस्तित्व बनावे में सफल बिया।
येही से कहल जाला की हर भाखा संस्कृत से उत्पन भईल बा, येही से खास करके भारतीय भाषा कउनो लिपि में लिखल जात होखे बाकिर कई गो शब्द एक दूसरा से मेल खाला। इहवा एगो अउर बात बा की भारत कुछ अईसनो भाखा बडिसन जवन सीधे संस्कृत से नईखी निकलल सन ओही लेखा जईसे बाबा होल ओकरा बाद बाउजी होल ओकरा बाद बेटा/बेटी होल। इ उदाहरन से रउआ सभे के बुझा गईल होख। 
बंगल भाखा सीधे मगध साम्राज्य के भाषा से फरका भईल बिया आ सबसे अहम बात इ बा की आज जवन बंगाल में बंगला बोलल जाला ओकर जनम स्थान बंगाल ना हs ओकर जनम बिहार के उ भाग में भईल रहे जवना के आज झारखण्ड के नाव से जानल जाला , इ समुदाय पचिन बिहार(अब झारखण्ड)से आके अधिक संख्या से बंगाल/गौड़ में बसल रहेलो | आज जवन लिपि में बंगला लिखल जाला उ पाहिले कैथी लिपि में लिखल जात रहे | उहे कैथी लिपि जवना में भोजपुरी,मैथली,अवधि/छतीसगढ़ी आदि जईसन भाखा लिखल जात रहे | हमरा कहे के मतलब इ रहल ह की हिंदी जे आज भारत के राज भाषा आ अस्तित्व ह जवना के देश में सबसे जादे बोलल आ बुझल जाला ओकरा बारे में कुछो हिंदी के अगुआ लो भ्रम आ झूठ फईलावले बा लो जेकरा जवन बुझईल आपन आपन मत देते गईल लो बाकिर इ जाईज बाकी इ लो जवन दुनिया के सामने रकल लो उ झूठ रहे |हिंदी आ उर्दू दुनो एके ह फरका इ बाकि हिंदी देवनागरी में लिखल जाला आ उर्दू अरबी के रूप नस्तोलिक लिपि में |हिंदी जब भारतीय भाषा के संपर्क में आईल त खास करके बिहार ,यूपी समेत राजस्थान क मय भाषा में त एकर रूप भारतीय तर्ज प आईल |हिंदी/उर्दू के शब्द कोश में अरबी , फारसी आ तुर्की भाखा के शब्द सबसे बेसी बा (एकरा के एगो अंग्रेजी किताबो प्रमाणित कईलेबिया ) | हिंदी एगो आधुनिक भाखा ह जे मजबूत बा एकरा के सबसे आसानी से बोलल आ बुझल जाला येही से इ आज देश के अस्तित्व ह जवन सही बा बाकिर इ सही नईखे की हिंदी , भारत(उत्तर भारत)के हर भाषा के माई/बाप ह | हिंदी के उत्पति में खास भारत के जवन प्रांतीय भाषा बाडिसन ओकर मुख्य योगदान बा इ सब भाषा के समवेश से हिंदी के अस्तित्व आईल बा काहे से की हर प्रांतीय भाषा के मूल जनम जगह बा बाकिर हिंदी के नईखे कहे की इ परदेशिक ना अरबी /फारसी/तुर्की आ भारतीय प्रांतीय भाषा के मेल ह | आब तनी आपन माईभाखा के बारे में बतकही कईल जाव भोजपुरी भाखा एगो आजाद भाषा ह जवना के उत्पति प्राकृत आ पली के सघे सघे संस्कृत के जोग से भईल बा |

आज जवन भोजपुरी के मूल क्षेत्र के रूप के बतावल जाला उ पाहिले ना रहे भोजपुरी के जवन 'भोजी समाज' बा उ उजैन के मूल रहे लो कउनो कारन बस उहा से भोजपुर(शाहाबाद)में ओकरा बाद बक्सर आ बलिया में बसल लो ,एमपी के भोजपुर होते बिहार के भोजपुर तक भोजपुरी अस्तित्व रहे (राजा भोज क नगरी )| आज भोजपुरी प्रांतीय नईखे देश के कोना कोना में उपयोग होता |

माराठी आ भोजपुरी के कईगो शब्द के मेल होता जईसे 'नाव' के , एकर हिंदी में माने 'नाम' होला, 'आजी' दुनो भाखा में उपयोग होला जवना के हिंदी में 'दादी' कहल जला येहिसही कईगो शब्द बडिसन |

इ सब भासन के मेल के साफ कारन इहे लउकता की संस्कृत के अंश के सघे सघे मूल जगह से दुसरे जगह पलायन के चलते शब्दन के व्यवहार , से भाखा के मेल भईल|

झारखण्ड/बंगाल/असाम के संथाल समाज के भाषा क मेल उत्तर भारत के साथे दक्षिण भारतीय भाषा से देखल जा सकता |

दक्षिण भारत भाषा (तमिल) के प्रभाव श्री लंका में भी देखल जा सकता सिंघली भाखा के तौर पर |

गुजरती आ माराठी के लिपि फरका बा बाकिर कुछ शब्दन के मेल साफ लउके ला |

भाषा समाज आ देश के आईना होला एकरा के आदर करी आ माईभाखा अउर देश भाषा के आदर करी तबे राउर पूछ होई |

भारत में संघराज भाषा हिन्दी के बाद सबसे बेसी बोले जाय वाला भाषा भोजपुरी ह। समय समय पर एकरा क 8 वी अनुसूची में सामिल करे के मांग उठत रहत बा । एकरा खातिर फरका फरका आन्दोलन भईल बाकिर इसब आंदोलन तुच्छ राजनीति क शिकार हो गईल । अब जरूरत बा एगो अईसन आंदोलन के जवन जनांदोलन बन जाये।
भोजपुरी भाषी जनसंख्या 20 करोडो से बेसी बा । इ लोग भारत के विभिन्न हिस्सा मे अपन विशेष प्रभावो रखेला लो । सिंधी , मणिपुरी अवुर इहा ले कि नेपाली भाषा 8वीं अनुसूची मे बा जबकि इ भाषन के बोले वाला भोजपुरी भाषियोन क तुलना मे काफी कम लाखन में बा । आलोचक शामिल ना करे के तर्क देला लो की येही से हिन्दी ही नुकसान होई उनकर संख्या कम होई। दूसरा इ कि भारतीय रूपया (नोट)पर मय भाषा के लिखल आसान ना होई काहे की एक नोट पर जगह कम होला । इसब मय तर्क मे दम नईखे इ बहाना ह ।
'एक मारिशस की हिन्दी यात्रा' मारिशस के हिन्दी विद्वान सोमदत्त बखोरी अपन किताब 'एक मारिशस की हिन्दी यात्रा' मे लिखत हउअन कि भोजपुरी खाली घर के भाषा ना रहे , इ मय गाँव क भाषा रहे , भोजपुरी के दम पर लोग हिन्दी समझ लेत रहे आ हिन्दी सीखल चाहत रहे । आज हम बेहिचक कह सकत बानी कि इस देश मे हिन्दी फलल फुलल बिया त भोजपुरी के प्रताप से। दोसर तर्क क बात कइल जाये त अमेरिका मे शुरुआत मे 14 राज्य रहे जवन अब 50 हो चुकल बा । उहा क नोट पर 14 अलग अलग तार आ अन्य राज्यन क झंडा अवुर छोट छोट अक्षर मे नाव लिखल बा । कुछो अईसने फार्मूला आरबीआई अपना सकेले ।

भोजपुरी भाखा क संबिधान में शामिल करे खातिर कई बेरी विधेयक संसद में लिआवल गईल ।बाकिर हर बेरी कवनो ना कवनो बहाना कके टाल दिहल जाला । लोकसभा मे भोजपुरी भाषी सांसदन क संख्या के कवनो कमी नईखे । जवना में देखल जाये त विशुद्ध रूप से भोजपुरी भाषी लोकसभा क्षेत्र के संसदन क संख्या 90 से 100 ले बा (यूपी/बिहार/झारखण्ड आ अन्य)। दोसर परदेसन सेहु भोजपुरी भाषी सांसद चुन क आवे ले जईसे नार्थ ईस्ट दिल्ली से मनोज तिवारी जईसन अवुर नाव बा । पंजाब से सांसद सीमरजीत सिंह संसद मे कहले रहन कि-‘गुरु गोविंद सिंह जी क रचना भोजपुरी में बा ।भोजपुरी सिनेमा क बजट 500 करोड़, जदी भोजपुरी बाज़ार क बात कइल जाये त इ सबके (समेत गैरभोजपुरी भाषी) ध्यान अपन ओरी खींले बा । जहवा सनीमा के कम लागत मे बहुत निमन कमाई हो जाला । इहे कारण ह कि बॉलीवुड के प्रोडूसर/डायरेक्टर/स्टार इहवा अपन किस्मत आज़मावे लालो। अमिताभ बच्चन , मिथुन,अजय देवगन , धर्मेन्द्र जईसन सुपर स्टार के सघे कइगो बड़हन डायरेक्शन आ प्रोडक्सन कम्पनी । 2004 में मनोज तिवारी क आइल फिल्म ‘ससुरा बड़ा पईसा वाला' मात्र 27 लाख मे बनल आ 6 करोड़ क कमाई कइलस तक से भोजपुरी माने मनोज तिवारी आ पॉलीवुड सनीमा जग जाहिर हो गईल । ओकरा बाद त इहा फिल्मन क बाढ़ आ गईल ,जवन अबले चलता तेजी से । भोजपुरी भाखा भा भोजपुरी कल्चर से प्रभावित एक से एक टीवी चैनल क सुरुआत हो गईल बा (महुआ/संगीत भोजपुरी/बिग मैजिक गंगा /अंजना /ओस्कर मूवी/हमार टीवी ..जईसन चैनल) । भोजपुरी क इंटरनेट फ्रेंडली बनावे के प्रयास कईल जाता । बीएचयू के भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान व भोजपुरी अध्ययन केंद्र मिलकर इंटरनेट फ्रेंडली बनावे मे जुटल बा । खबरिया पत्रकारन मे कईगो बड़ नाव बा रवीश कुमार,पुण्य प्रसून,उर्मिलेश जइसन पत्रकारो भोजपुरी भाषी हवन जे आज हिन्दी पत्रकारिता क रीढ़ बन चुकल बालो , एकरा बावजूदो भोजपुरी अधिकार आन्दोलन के मीडिया कवरेज ना मिल पावेला ।मारिशस , फिजी जइसन देश भोजपुरी के चलते बसल आ फलत फुलत बा | भोजपुरी क 8वि अनुसूची में ना होवे के चलते साहित्य पुरस्कार ,फिल्म क राष्ट्रीय अवार्ड,भोजपुरी लेखकन क राष्ट्रीय पुरस्कारोन के श्रेणी से बाहर रखल जाला । जवन की भोजपुरी के 20 करोड़ जनमानस के साथ भेदभाव बा । भोजपुरी क लोकप्रियता के मिठापन क अंदाज़ा इहे बाते से लगावल जा सकता कि संगम नगरी मे मारिशस से आइल एक विदुषी कहले रहे कि भोजपुरी क मिठापन के प्रगाढ़ते ह कि उ मारिशस जइसन टापूवो क स्वर्ग बना देहलस । हम रउआ सभन से एगो सवाल करे चाहतानी की काहे भोजपुरी भाखा क दूरदुरावल जाता, दोसर लोग त करते बा खास करके बेटा आपन महतारी के , आपन मन से जबाब लिही |
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लेखक परिचय:-

नाम - प्रिंस रितुराज दुबे
अंडाल, दूर्गापुर, पश्चिम बंगाल
ई-मेल:- princerituraj@live.com
मो:- 9851605808
अंक - 100 (04 अक्टूबर 2016)

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