बेबात के ओरहन दिहने
अनही आफत आइल बाटे।
सोन चिरइया गाई कइसे
गिधवा उहें मोहाइल बाटे॥
बिन बात क तोहमत लीहने
मनवा मइल समाइल बाटे।
मन के मितवा भायी कइसे
हियरा तीर घोपाइल बाटे॥
लागल नाही हाथे हरदी
कोखी बुची मराइल बाटे।
बहरे चाहे कुछुवो बोलीं
माई घरे छोहाइल बाटे॥
नारी बा नारी के दुश्मन
मन क नेह हेराइल बाटे।
हेतना पीर सहाइ कइसे
बुद्धि पहरा घहराइल बाटे॥
सांसत में जिनगी हमनी के
आँख मोर लोराइल बाटे।
कइसे बुझिहे कुल बउरहवा
बुद्धि के भसुरा घाहिल बाटे॥
केकरा चान सुरुज अब बोलीं
सुरुज इहाँ छितराइल बाटे।
कहवाँ हेरी चान सा मुखड़ा
कनिया धन ओराइल बाटे॥
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लेखक परिचय:-
नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
मैनेजिग एडिटर (वेव) भोजपुरी पंचायत
बेवसाय: इंजीनियरिंग स्नातक कम्पुटर व्यापार मे सेवा
संपर्क सूत्र:
सी-39 ,सेक्टर – 3
चिरंजीव विहार, गाजियावाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
अंक - 92 (09 अगस्त 2016)
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