पटरी ना खाई - जितराम पाठक

अरुआइल बा बात तहार, हटाव फरका,
ले अइब एने अब त पटरी ना खाई।

चूरी-टिकुली के हम सुनलीं गीत अनेकन
पाकि गइल बा कान,
कपार बथत बा फरके,
लागल हरके
तू बाड़ अइसन उजिआवन
दुपहरिया में गीत भोर के गावत बाड़
लागल बाटे आगि, बइठि पगुरावत बाड़
मारि फसकड़ा बइठल बाड़ महकल अइसन,
पगुरइब एने अब, त पटरी ना खाई।

देखल चोली
तहरा तब लेसि देलसि बाई,
मुसकी-मटकी पर भइल तू खूब पतवरा
आँचर तर घुसिअइल
चूमा-चाटी में कब से अझुराइल बाड़,
नाग-फाँस में कब से तूहीं धराइल बाड़ नवकी
नवकी बात बोलावति बाटे कब से देख,
ढेर चोन्हइब अबकी, त पटरी ना खाई।
----------------------------------------

लेखक परिचय:-

नाम: जितराम पाठक
जन्म: 2 दिसंबर 1928
जन्म स्थान: चन्द्रपुरा, हवेजपुर, भोजपुर, बिहार
अंक - 81 (24 मई 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.