कवन हउवे देवी-देवता, कौन ह मलिकवा
बतावे केहू हो, आज पूछता गरीबवा॥
बढ़वा में डूबनी, सुखड़वा में सुखइनी
जड़वा के रतिया कलप के हम बितइनी॥
करी केकरा पर भरोसा, पूछी हम तरीकवा
बतावे केहू हो, आज पूछता गरीबवा॥
जाति धरम के हम कुछहूं न जननी
साथी करम के करनवा बतवन॥
ना रोजी, ना रोटी, न रहे के मकनवा
बतावे केहू हो आज पूछता गरीबवा॥
माटी, पत्थर, धातु और कागज पर देखनी
दिहनी बहुते कुछुवो न पवंनी॥
इ लोरवा, इ लहूवा से बूझल पियसवा
बतावे केहू हो आज पूछता गरीबवा॥
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अंक - 14 (10 फरवरी 2015)
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