जिनगी तोहरा बिना - गुलरेज शहजाद

जिनगी तोहरा बिना भकुआ गईल बा
ढंग जिए के सांचो भुला गईल ब॥
रतिया नागिन नियन फुंफकारत बिया
मुंह सपनवा के अब पियरा गईल ब॥
तोहरा होखला से रहे जिए के लगन
आस तोहरा बिना ठकुआ गईल ब॥
करीं कतनो जतन कतहुँ लागे ना मन
भतरी कतना कुछो अझुरा गईल ब॥
खटिया आराम के टांग उठवले बा अब
चैन कोठी के कान्ही धरा गईल ब॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.