समय के धुर में भुलाइल में चइता - डॉ० उमेशजी ओझा


चइती उत्तर प्रदेश आ बिहार में चइत महीना प आधारित बा. भारतीय मान्यता के अनुसार चइत महिना के साल के पहिला महीना मानल जाला. एह महीना के कईगो महातम बा. बाकी उत्तर प्रदेश आ बिहार में एह महीना में गाए जाए वाला गीत चइता के आपन अलगे महातम बा. चइत महीना के रितु परिवर्तन के रूप में जानल जाला. पतझड़ जा चुकल रहेला, फेड़न प पतई आ नाया-नाया कोपल आई रहेला. एही महीना में मरजादा पुरूषोत्तम श्री राम के जनमो भइल रहे. एही महीना से गर्मी के तैयारी शुरू हो जाला आ चिरई-चुरुंग आपन प्रजनन खातिर घोसला भी बनावल शुरू क देला. चइत महीना फगुआ के अगिला दिने शुरू होला. बसंत रितु आपन योवन प होला एह कारण एह महीना के मधुमास भी कहल जाला. एह महीना में गावल जाए वाला राग में परेम, प्रकृति आ होली विशेस रहेला. चइत प्रभु श्री राम के जनम दिन के महीना भी ह. एह से एह महीना में गाये जावे वाला हर गीत के आगे आ पीछे रामा हो रामा गावल जाला.


एह महीना में उत्तर प्रदेश आ बिहार के गाँव से लेके शहर तकले चइता के आयोजन कइल जात रहे. बिहार आ उत्तर प्रदेश में चइत महीना में गाये जाए वाला गीत के चइता, चइती आ चइतावर कहल जाला. ई सभ गीतन में मुख रूप से एह महीना के गुण गान होला. बाकी अब ई परम्परा प धीरे-धीरे समय के धुर चढ़ल शुरू हो गइल बा. 

चइती के शास्त्रीय संगीत विद्या में शामिल भी कइल जाला. आ उप शास्त्रीय बंदिश भी गावल जाला. एह महीना में लागल महफिल में खाली चइती, टप्पा , आ दादरा ही गावल जाला. एह में अक्सर राग बसंत आ मिश्र बसंत में निबद्ध होला. चइती, ठुमरी, दादरा, कजरी आदि के गढ़ उत्तर प्रदेह आ बिहार ह. पाहिले खाली एकरा के समर्पित संगीत समारोह होत रहल जेकरा के चइता उत्सव कहल जात रहे. आजू हमनी के पुरान रीति रिवाज आ हमनी के संस्कृति प समय के धुर आपन घर बनावल शुरू कर देले बा. आ अइसन कह सकत बानी कि हमनी के पुरान संस्कृति समय के धुर में भुलाइल जात बा. ओकरा बादो चइती के लोकप्रियता संगीत प्रेमियन में बनल बा. शाल के बारह महीना में चइत महीना गीत संगीत के महीना के रूप वर्णन कइल गइल बा. 

चइत महीना में गाए जाए वाला गीतन के भोजपुरी में घाटो, मगही में चइतार, आ मैथली में चइतावर कहल जाला. गीतन में राम के नाम के अलग राधा, कृस्न के विरह के गीत भी गावल जाला. शिव पार्वती के गीत, “शिव बाबा गइले उतरी बनिजिया, ले अइले, भंगीया धतुरवा हो रामा.’’ बड़ी मसहुर बा. कहल गइल बा कि चइता गाना, गावे आ सुने से मन आ दिल के भीतर के सभ घुटन दूर हो जाला. एह महीना के रामनवमी के चौथा दिन चइत शुक्ल त्रयोदशी जैन धरम के प्रवर्तक भगवान् महावीर के भी जनम भइल रहे.
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लेखक परिचय:-

पत्रकारिता वर्ष १९९० से औरी झारखण्ड सरकार में कार्यरत 
कईगो पत्रिकन में कहानी औरी लेख छपल बा 
संपर्क:- 
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मोबाइल नं:- 9431347437
अंक - 76 (19 अप्रैल 2016)

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