"भोजपुरी लोकधारा" श्री रसिक बिहारी ओझा 'निर्भीक' जी के लिखल भोजपुरी कऽ शोध आलेख कऽ किताब हऽ जेवना में एगारह गो शोध लेख भोजपुरी भाखा अउरी साहित्य कऽ अलगा-अलगा रुप देखावत अउरी बतीयावत बाड़े सऽ।
लेखक: श्री रसिक बिहारी ओझा 'निर्भीक'
प्रकासक: जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद्
पता: हो नं - 102, जोन नं- 11 बिरसानगर,
- लोक-साहित्य: एगो परिचय
- भोजपुरी कहाउति: एगो सरसरी नजर
- लोक व्यंग्य-विनोद
- भोजपुरी लोक-कथा के विस्तार आ ओकर शिल्पगत विशेषता
- भोजपुरी लोक-साहित्य में पारिवारिक जीवन के सुन्दर संबंध
- भोजपुरी लोक-साहित्य में पारिवारिक जीवन के असुन्दर संबंध
- भोजपुरी लोक-कथा में राजनैतिक जीवन के झलक
- समाज में नारी के स्थान: लोक-साहित्य के प्रमान
- भोजपुरी लोक-कथा में कथानक रुढ़ि आ अभिप्राय
- भोजपुरी लोक-साहित्य में धन के महिमा
- भोजपुरी भाषा के मानकीकरण: समस्या आ समाधान
लेखक: श्री रसिक बिहारी ओझा 'निर्भीक'
प्रकासक: जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद्
पता: हो नं - 102, जोन नं- 11 बिरसानगर,
जमशेदपुर, झारखण्ड - 831019
संपर्क सूत्र: 9031719481
संपर्क सूत्र: 9031719481
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अंक - 42 (25 अगस्त 2015)
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