'जिनिगी के दूबि हरियाइल' एगो कहानी कऽ किताब हऽ जेके लिखले बानी 'श्री इंजीनियर राजेश्वर जी'। ए कहानी संग्रह में बारह गो कहानी बाड़ी सऽ जेवना में गाँव-देहात के छोटहन से छोटहन भावन के देखावे के कोसिस कईल गईल बा।
लेखक के एगो ई बढिया परियास बा। हर कहानी संग्रह नियर कुछ कहानी निमन बाड़ी सऽ तऽ कुछ औसत दरजा के। कुल मिला के पढे लायक कहानी बाड़ी सऽ। पर एतना जरुर कहे चाहब कि औरी बढिया हो सकत रहली ह सऽ ई कहानी। ए बारहो कहानीन के नाँव बा:
- सुरता पहलवानी कऽ
- लड़कपन
- सठ सुधरहिं सत्संगत पाई
- सगरो जिनिगी गइल बिलाय
- मदद अकारथ ना जाले
- जो जस करहिं सो तस फल चाखा
- जिनगी कऽ दूबि हरियाइल
- नारी के मन नारि न भाव
- छोटहर मनई कऽ लमहर बाति
- बियाहे कऽ सिलसिला
- सेवा कऽ फल
- टेलीफोन बतवलस राज
लेखक: श्री इंजीनियर राजेश्वर
प्रकासक: काव्यमुखी साहित्य अकादमी, मऊ, उत्तर प्रदेश
मूल्य: पचास रुपये
पावे खाती संपर्क सूत्र: 9415208520
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