नित-नित देखीले सपनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के - महेन्द्र मिश्र

नित-नित देखीले सपनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के।

बन के गमन कीन्हीं हमनी के तजी दिन्हीं,
ना जाने कवनी करनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के।

चउदह बरस गइलें अबहुँना लालन अइलें 
का सो देखाईं सगुनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के।

जब सुधि आबे राम जी तोहरी सुरतिया
 व्याकुल होला परनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के।

जब-जब याद पड़े नैना से नीर झरे
 जइसे झरेला सवनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के।

कहत महेन्द्र कागा उचरऽना अँगनवाँ
 कब अइहें रामजी भवनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के।
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लेखक परिचय:-

नाम: महेंद्र मिश्र (महेंदर मिसिर)
जनम: 16 मार्च 1886
मरन: 26 अक्टूबर 1946
जनम स्थान: मिश्रवलिया, छपरा, बिहार
रचना: महेंद्र मंजरी, महेंद्र विनोद, महेंद्र चंद्रिका, 
महेंद्र मंगल, अपूर्व रामायन अउरी गीत रामायन आदि
अंक - 71 (15 मार्च 2016)

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