आपन सामाज - दिलीप कुमार पाण्डेय

सांचों देखल जाव त् इंसान घात-प्रतिघात ,हिंसा-प्रतिहिंसा आ स्वार्थ का दलदल में एह तरी धंसल जा रहल बा जे गांव-ज्वार का इज्जत भा राष्ट्र का इज्जत के मोल ना के बराबर रह गइल बा।
जवन नैतिकता हर घर से शुरू होत रहे आ ओही घर में दफन हो रहल बा ।
संजयुक्त परिवार ना रहल ,नाता रिश्ता में बन्हाइल गांव ना रहल।
शहर के संवेदना भौतिक सुख-सुविधा प्राप्त करे का होर में मरत मरत आज अंतिम सांस गिन रहल बा ।
कहियो एके गो अंगना में चार पांच पट्टी रहत रहे ।आज एगो फ्लैट में मरदे मेहरारू का रहल मुश्किल बा ।सभकर ख्वाब खास हो गइल बा ।एकर लाभ नोकसान आंखी का सोझा बा तबो लोग चेतत नइखे ।हर पुत अपना बाबू पर ना के बरोबर आ पुत पर बेसी धेयान देतारें आ अंत में बाबू का संगे कइल बेवहरवा खुदे पावऽतारें।दादा-दादी नामक प्राणी सडक ,अनाथआश्रम जइसन जगहन पर जीवन गुजारे ला बिबश बारें।

आजकल हर जात के संगठन बन गइल बा चाहे बन रहल बा ।ओह लोग सभा में अन्य जात द्वारा कइल बेजायं कामन पर फोकस दे एकता बनावे पर जोर दियाता।लेकिन कुछ घटना के सुन हंसीयो नइखे रोकात।जवन आदमी अपना जात के उन्नति का एवरेस्ट पर चढावें खातिर अपने आप के मेटावे के बात करता उहे डंरेर पर का सेमर का गाछ ला अपना खून के खून करे से नइखे हिचकिचात ।---

बहुते दुखद स्तिथि बा भोजपुरिया अंचल के जहाँ समाजिक समस्या व्यक्तिगत स्वार्थ का आगा गौण हो गइल बा ।जे ओजनी बा उ रहल नइखे चाहत ।आ जे परदेस धइले बा उ आइल नइखे चाहत।अइसे देखल जाव ओजा रहियो के कवनो दिसाईं से कल्याण त् होखे से रहल ,उल्टा ठंडा आ गरम सहत-सहत देह गल के मांड हो जाई ।सरकारी स्कूलन के पढाई एक्सपाइरी दवाईन अइसन जवन का नोकसान कइला के गारंटी बा।कवनो साल फसल सुखा जाई त् कवनो साल दहा जाई।जेकरा एको धूर धान ना रोपाईल हई ओकरा डीजल के पूरजी पर पूरजी मिली ।जे रोपले होई आ मुखिया के दुआ सलाम ना करत होई त् उनका ठनठन गोपाल दास।

बाबू साहेब का टोला में परसाद जी आ परसाद जी का टोला में बाबू आपन इज्जत गंवा के रह रहल बारें।सेना के बोलबाला बा ।सब लोग आपन आपन सेना बना भारत पर आ रहल खतरा के रोकेला तरह तरह के पैंतराबाजी कर रहल बा।मंत्रीजी का फोन अइला का संगे आरोपी हरिद्वार का गंगाजल अइसन पबितर हो जाता ।एह सब का बीच गंगीया के बोलबाला बा ।लोग उनका के भाडा पर ले जा रहल बा ।उनका से केश करवा पट्टीदार हेंकडी बंद करवा देता ।

कुछ लोग भोजपुरी के असली मसीहा बने का फिराक में गैंग बना आपन जयकार लगवा रहल बा।भले उ अपना लइका से अंग्रेजी में बतियाता आ अंग्रेजीए सनिमा देखावता।कल्ह एक आदमी भोजपुरी ला आपन जोगदान गिनावत गिनावत मुंह से गाज बिग देहल ।कवनो दवाई काम ना कइल त् चमरा के जूता सुंघावे के परल। उ त् गनीमत रहे जे असली रहे ,अगर अहमदाबाद का नकली दवइया अइसन रहित त् का जाने का होइत।

जवन होखे देश के बदलल हवा से हमनी भोजपुरिया आस लगवले बानी जे आवेवाला समय में एहू क्षेत्रण में उद्योग धंधा बढी आ अंते ना जाए के पडी।अबही रे बिहारी जइसन बिशेषण सुने के पडता उ त् ना सुने के परी लेकिन रे छपरहिया रे -------सुने से केहू नाहींए रोक पाई तबो मन परसने रही कवनो बात ना आपन बिहार ह् हमनी के बिहार ह।

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आपन सामाज - दिलीप कुमार पाण्डेयलेखक परिचय:-
नाम-दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238

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