हजार झूठ पऽ मारे एक बेर बीछि डंक
धरमी काम कवन कोताही राजा चाहे रंक।
सच्चाई के आँख जनि देखाईंं सरकार
हमरे लेखा रऊवों के ठोकी चार बार।
देंहे-देंहे बिख भरल बा तहरो से भी जादा
केहू करे चपलूसी केहू करे तगादा।
हवे ई दवाई इहे बात हम जानिले
महादेव के श्रृंगार तू सघरि जमात मानिले।
नेता नगाड़ी झूठ बोलेसन कुछ तऽ कर उपाई
डंक मारिके झूठ भगा दऽ जै हो बिछी माई।
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