मेड़न पै बिछिलै सरकै पग
दाबि चलै देहियाँ बल खाला।
बून परै झमकै बदरी कजरी
आँखिया जनु मारत भाला ।
रोपत धान उतान उठै मुड़ि
देखैं त चान बेचारा पराला ।
बोलत बा रस बात कबौं कुड़कै
भउजी देवरा मुसुकाला।
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लेखक परिचय:-
नाम: राम जियावन दास 'बावला'
जनम: 1 जून 1922, भीखमपुर, चकिया
चँदौली, उत्तर प्रदेश
मरन: 1 मई 2012
रचना: गीतलोक, भोजपुरी रामायण (अप्रकासित)
अंक - 55 (24 नवम्बर 2015)
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