केहू आज दिल से भुलाई त कइसे
हिया से कहीं दूर जाई त कइसे।
कजरवा से चाहे लिखे प्रेम पोथी
कि लोरवा से पाती लिखाई त कइसे।
बड़ी सांकरी प्रेम के ई गली बा
कि ए में तिहाला समाई त कइसे।
मुंडेरवा पर चिरई चुरुंग नाही बइठे
महलिया बतावs सजाईं त कइसे।
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हिया से कहीं दूर जाई त कइसे।
कजरवा से चाहे लिखे प्रेम पोथी
कि लोरवा से पाती लिखाई त कइसे।
बड़ी सांकरी प्रेम के ई गली बा
कि ए में तिहाला समाई त कइसे।
मुंडेरवा पर चिरई चुरुंग नाही बइठे
महलिया बतावs सजाईं त कइसे।
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सुशांत शर्मा
अंक - 114 (10 जनवरी 2017)
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