चढु-चढु ए सुगना गगन गम्हीर - लछिमी सखी

चढु-चढु ए सुगना गगन गम्हीर॥

उ जे सीतल मंद सुगंध समीर।
जाहाँ झर-झर बहत धीरे धीर॥

चलु सखी पनिया भरि लेहु नीर।
सुखमन संगम सरयुग तीर॥

ससुरा से पतिया ले अइले महाबीर।
जहाँ बसे सतगुरु साहेब कबीर॥

लछिमी सखी चारो जुग कर पीर।
लेहु सखी कसमस अँगिया पहीर॥
---------------------------------------

लेखक परिचय:-

नाम: लछमी सखी
काल: 1841-1914
जनम: अमनौर, सारन, बिहार
सखी सम्प्रदाय के संत
अंक - 101 (11 अक्तूबर 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.