भइया मलहवा रे - रामपति रसिया

भइया मलहवा रे,
कवने घटिया लागी नइया मोर॥

नदिया अगम लागे,
सघन सेवार आगे,
भइया मलहवा रे,
कतहीं ना लउकत बाटे छोर।
भइया मलहवा रे,
कवने घटिया लागी नइया मोर॥

नाही गइनी पुरुब पछिम
देखनी ना उतर-दखिन
भइया मलहवा रे,
असरा लागल बाटे तोर।
भइया मलहवा रे,
कवने घटिया लागी नइया मोर॥

नदिया फुलाइल बिआ
देखि-देखि काँपे हिया
भइया मलहवा रे,
घेरले अन्हरिया घनघोर।
भइया मलहवा रे,
कवने घटिया लागी नइया मोर॥

रामपति रसिया सोई
दिहनी समइया खोई
भइया मलहवा रे,
भइल चाहत बाटे भोर।
भइया मलहवा रे,
कवने घटिया लागी नइया मोर॥
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रामपति रसिया
अंक - 101 (11 अक्तूबर 2016) 

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