हम देखिले
हम सुनीले
हम बुझिले
हम समझिले,
आपन गउँआ, आपन नगरिया
लोगवा काहे छोड़ाऽता,
सहर से नाता जोड़त जोड़त
अंगना काहे भोराऽता।
हम सहिले
हम भोगीले
हम जीहिले
हम मरीले,
समय बेचके पइसा खातिर्
घर छोड़के रोये खातिर
सारी उमरिया सहर में जागी के
गऊंआ में एक दिन सुते खातिर।
हम पाइले
हम खोईले
हम हंसीले
हम रोइले
हाँथ में दू चार ढेबुआ लेके
डेरा पंहुची-ला हम जब,
सहर के छत निहारत निहारत
इयाद अंगना के आवे जब।
हम चलीले
हम दउड़िले
हम भागिले
हम रुकीले
गरमी, जाड़ा आउर बरसात
भीड़ बढ़ावत लोगन के साथ
सहर के जीदीपी बढ़ावे खातीर
पाथर तुरऽता एगो आउर हाथ।
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हम सुनीले
हम बुझिले
हम समझिले,
आपन गउँआ, आपन नगरिया
लोगवा काहे छोड़ाऽता,
सहर से नाता जोड़त जोड़त
अंगना काहे भोराऽता।
हम सहिले
हम भोगीले
हम जीहिले
हम मरीले,
समय बेचके पइसा खातिर्
घर छोड़के रोये खातिर
सारी उमरिया सहर में जागी के
गऊंआ में एक दिन सुते खातिर।
हम पाइले
हम खोईले
हम हंसीले
हम रोइले
हाँथ में दू चार ढेबुआ लेके
डेरा पंहुची-ला हम जब,
सहर के छत निहारत निहारत
इयाद अंगना के आवे जब।
हम चलीले
हम दउड़िले
हम भागिले
हम रुकीले
गरमी, जाड़ा आउर बरसात
भीड़ बढ़ावत लोगन के साथ
सहर के जीदीपी बढ़ावे खातीर
पाथर तुरऽता एगो आउर हाथ।
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लेखक परिच:-
नाम:आदित्य प्रकाश अनोखा
पता: बसंत, छपरा बिहार
अंक - 101 (11 अक्तूबर 2016)
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