सुघर सुकुमार - कैलाश गौतम

पहिने किरनिया के हार
खिड़िकिया पर खाड़
भोरहरी श्रृंगार करे......॥

झिलमिल झिलमिल कनवा के बाली
उतरे नहाइल कौनो सोनवा के रानी
लिहले शरीरिया के भार
सुघर सुकुमार
भोरहरी श्रृंगार करे......॥

सतरंग चुनरी सूरज रंग विंदिया
नवरंग माथे में रचावेली मेंहदिया
जगमग जग उजियार
झरेला कचनार
भोरहरी श्रृंगार करे......॥

पहिने किरनिया के हार
विहंसेला मोर मगन फुलवरिया
गंध में लथपथ कुसमी चुनरिया
भंवरा करेला गुंजार
पंखुरिया निहार
भोरहरी श्रृंगार करे......
पहिने किरनिया......॥
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लेखक परिचय:-

नाम: कैलाश गौतम
जनम: 8 जनवरी 1944
देहावसान: 9 दिसंबर 2006
जनम थान: वाराणसी (चंदौली)
शिक्षा: एम.ए. बी. एड.
रचना: सीली माचिस की तीलियाँ, जोड़ा ताल, तीन चौथाई आन्हर, सिर पर आग
सम्मान: शारदा सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान, राहुल सांकृत्यायन सम्मान, लोक भूषण सम्मान, सुमित्रानन्दन पंत सम्मान, ऋतुराज सम्मान

अंक - 97 (13 सितम्बर 2016)

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