परथन - राजीव उपाध्याय

कागद कलम से सरवल
सभ करिया अछर
परथन नियर लपिटाइल बा
कि रोटी चउकी जाओ बेलाए
कि खाए फुलवरी केहू अघाए
एतने बस जिनगी के लोइया बा
कबो बड त छोट कबो गोलाए।

ऊँच-नीच जेवन होखे ला
जिनगी के कराही में छँवकाला
अउरी लह-लह आँचि पर
पंचफोरन फरिआला
कि लस-लस भइल दिन-रात
कि सूरूज मन के उंघाला
अउरी उघार देंहि सगरी
करिखा पोत
पटरी नियर गेल्हाला।
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लेखक परिचय:-

नाम: राजीव उपाध्याय
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
फेसबुक: https://www.facebook.com/rajeevpens
अंक - 99 (27 सितम्बर 2016)

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