खदेरन के पाठशाला (साहेब) - लव कान्त सिंह

(मास्टर साहेब के परवेश होता, देख के चिहा जात बारें की आज सब लड़िका एकदम शांत बारन सS, अपना-अपना जगहा पर)
मास्टर साहेब- आज तुम सबको देख के मिजाज खुस हो गया, पहला बार ऐसा हुआ है की जब क्लास में घुसे हैं तो तुम लोग किसी से मारपीट नहीं कर रहा है.(कुछ सोचला के बाद ) अच्छा साहेब आ गए हैं एहीलिए..हं भाई जब पूरा जिला कपस के शांत हो गया तो तुम सब कवना मुरई का खेत है?
लबेदा- कवना मुरई के खेत ना मारसायेब कवना खेत के मुरई होला.
मास्टर साहेब- बतिया त एक्के न हुआ रे पगलेट, बईठो ना त तुम्ही से बहनी बना लेंगे, आजे नया छड़ी लाया हूँ. (तबतक डब्लू गेट पर खाड़ा बा)
डब्लू- मार सायेब भीतरी आई?
मास्टर साहेब- (खिसिया के) हेतना अबेर से काहे स्कूल आ रहा है जी, जाओ मुर्गा बन जाओ.
डब्लू- ना मार सायेब हम कब्बे के आइल बानी अभी कल पर कुल्ला करत रहनी ह.
मास्टर साहेब- कतना देर कुल्ला करता है, मुंह में मच्छर अमा गया था का ? आ ई सब उजर कमीज पर खून जईसा लाल-लाल का लगा लेले है जी.
डब्लू- इहे नु धोए गईल रहनी ह मार सायेब...आज छुट्टी होखे दीं तब सारे के बतायेम.
ढ़ोंढा- बुझाता अभी तोर पेट नईखे भरल.
मास्टर साहेब- पेट नहीं भरा है तो टिफ़िन होने पर खाना.(डब्लू रोये लागता) आरे एकबायेग रोने काहे लगा जी ?
डब्लू- आज अकेले रहनी ह त लबेदवा आ ढ़ोंढवा हमरा के पटक-पटक के मारले बा.
मास्टर साहेब- काहे जी?
डब्लू- ओकर मुक्का हमरा नाके पर लागल ह ना त भीनासो ना फाटित आ उजर जामा खून से लालो ना होईत, पईरिया बा ना त मुंह से खूनो ना आइत. उहे कुल्ला करे गईल रहनी ह.
मास्टर साहेब- हम खुस थे की ई सब सुधर गया बाकी ई सब काहेला सुधरेगा...ए खड़ा होखो जी दुन्नो, काहे मार के बिल्डिंग कराये हो इसको?
लबेदा- खदेरन से कहsता की हमार जीजा जी आ गईल बारें काल्हे कट्टा लेके आएम आ तोरा के गोली मारेम.
मास्टर साहेब- बहुते बकलोल है जी, जब ई खदेरन को बोला त तुम लोग काहे थूथुन फुला के इसपर टूट परे.
ढ़ोंढा- बताई मारसायेब ई अगर खदेरन के गोली मार दी त हमनी के सिनेमा के देखाई, घुघनी के खियाई आ मोबाइल पर गीत के सुनाई?
लबेदा- आ हम फूलमतिया से भेंट करेला साइकिल केकरा से मांगेम?
मास्टर साहेब- चुप रहो बेहूदा कहीं का..जादा लबर-लबर किये त मारते-मारते हालते ख़राब कर देंगे दुनु का. चलो तुम सबके बाबूजी से कहते हैं की आजकल तुम लोग कवन पढाई करते हो. ए डब्लू तुम जादा गुंडा बनोगे तो दुईये सोटा में सब गुंडई झार देंगे, गोली बन्दुक का बात बतियाने आता है विद्यालय में ?
डब्लू- मास्टर साहेब रउवा बीच में मत परीं ई हमनी के मामला बा.
मास्टर साहेब- ढेर घोघियाओगे न हमरे सामने त हई देख रहा है न सटका, देहे पर तुड़ देंगे. खदेरन खड़ा होखो काहे ई तुमको गोली देखा रहा है?
खदेरन- बात ई बा की छौ महिना पहीले ई ममहर जाये खातिर साइकिल मंगले रहे, बाकी हमरा साइकिल से बाबूजी के एगो नेवता में जाए के रहे त हम एकरा के माना क देले रहीं. ओही बात खातिर ई हमरा के गोली मारे के कहत बा.
मास्टर साहेब- बताओ त ई दिमाग से एकदम पैदल आदमी बुझाता है, ए डब्लू ई साइकिलिया तुम्हारे बाबूजी किन के इसको दिए हैं की तुम जब मांगेगा तब ई तुमको फटाक से दे देगा. ढेर नवाब के सार बनोगे त गत्तर-गत्तर लाल कर देंगे मारते-मारते.
खदेरन- ना मारसायेब ई नवाब के सार ना ई तो साहेब का सार ह.
मास्टर साहेब- अच्छा ई ड्राईवर साहेब का सार है, बताओ त उ बेचारा केतना सीधा आदमी है आ इसको देखो साफ़ लम्पट है.
डब्लू- अभी रउरा हमरा के चिन्हत नईखी मारसायेब ओहिसे राउर जिभ्वा कईंची लेखा चालत बा.
खदेरन- मास्टर साहेब के कुछ कहले त एक बेर फेर भीनास फाड़ देम सारे.
मास्टर साहेब- हई ना देखो, 10 साल हो गया नोकरी करते कवनो अईसे नहीं बोला आ 5 साल से इहो है इस इस्कूल में सवालो पूछो त कोना में चुपचाप बैईठल रहता था आ आज देखो केतना फटर-फटर बोल रहा है. चलो हाथ निकालो आज नया डांटा का शुरुआत तुम्ही से करे.
डब्लू- अब हमरा के के मार दी, जीजा जी आ गईल बारें, सभे के गोली क देम.
मास्टर साहेब- ई कवना चोर के सार है जी ?
लबेदा- ए मारसायेब ई ऊ डाक्टर साहेब के सार ह जवन हाले में भागलपुर से आइल बारें.
मास्टर साहेब- बाप रे बाप, (घबरा के) डब्लू जी आप साहेब के सार हैं त पहिले न बताना चाहिए था. हें हें उधर काहे खड़ा हैं आइये न हमारे कुर्सी पर बईठिये. बताइये आप हेतना दिन से हैं यहाँ पर आ आज हमलोगों को बताएं हैं की आप उनके सार हैं.
डब्लू- काहे मास्टर नाम सुनते औकात में आ गईले. सुन आज के बाद हमरा के डांटे के गलती मत करिहे, हर परीछा में पास करवा दिहे, बुझले नू.
मास्टर साहेब – कहे के का बात है डब्लू जी, अब रउवा स्कूलों नहीं आयेंगे त हाजरी बन जायेगा.
खदेरन- ई का मारसायेब, एक्के बेर हेकरा से एतना काहे डेराए लगनी ?
मास्टर साहेब- तुम लोगन जानते नही हो इनके जीजा के बारे में, हमरा बाल बच्चा के के देखेगा हमारे बाद... आ सुनले हैं की तेज़ाब से मरने वाला का देह झोंकर जाता है, गोली भी त ई लोग कपार के बीच में मारते हैं, इंटा के चेमनी में हमको मरना नहीं है, आज के बाद तुम लोग इनको छुइयो दिया त मार के सोझ कर देंगे.
खदेरन- आरे मारसायेब रउरा गलत बुझ लेनी ह, इ हउ साहेब के थोड़े ई त अपना अस्पताल के डाक्टर साहेब के सार ह जिनकर हाले में भागलपुर से एजा बदली भईल ह.
(सब हंसत बारें स)
मास्टर साहेब- जादा दांत चियारोगे त बत्तीसी तुर देंगे, आजकल उहे मामला छाया है त हम बुझे...गलती किससे नहीं होता है.(डब्लू के तरफ देख के) हमारे कुर्सी पर से नीचे उतरो लबार कहीं का...साहेब का सार बन के सीधा-साधा आदमी को डेरवाते हो...चलो हाथ निकालो आज इस डांटा का उद्घाटन तुम्ही से लिखा है.
(सब लड़िका फेर हसत बारें स)
-----------------------------------------------
लव कान्त सिंंह
9643004592
 
 
 
 
 
 
 
 
 
अंक - 97 (13 सितम्बर 2016)

2 टिप्‍पणियां:

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.