डॉ० रसिक बिहारी ओझा “निर्भीक” - डॉ० उमेशजी ओझा

डॉ० रसिक बिहारी ओझा “निर्भीक” जी आज हमनी के बीच नईखी बाक़ी उहा के रचना, भोजपुरी में उहा के उपस्थिति दिलावत रहेले. भोजपुरी साहित्यकारन में उनका के भुलाईल भोजपुरी के साथे बेईमानी होई. उहा के किताबन के हाथे लागत बुझाला की उहा के हमनी के बीच आजुओ बानी.
भोजपुरी के विख्यात साधकन, सर्जकन , उन्नायकन, सम्वरधकन आ भोजपुरी के विस्तृत आयाम देवे वाला मेसे आपन गौरवमय जगह बनावेवाला, भोजपुरी साहित्य के सम्पन्नता आ गौरव गरिमा खातिर डॉ0 राशिक बिहारी ओझा “निर्भीक” जी अकेले जतना काम कईले बानी उ सभ विस्मयकारी बा . उनकर काम प्रेरक, ग्राह आ मार्गदर्शक बा . उनका में अमित ऊर्जा, उमंग, उत्साह आ कार्य करके क्षमता रहे .
निर्भीक जी के जनम बिहार के शाहाबाद अब बक्सर जिला के निमेज ग्राम के एगो प्रतिष्ठित आ साहित्यिक परिवार में २१ मई १९३२ में भईल रहे. उहा के पिता स्व० पंडित ब्रह्मेश्वर ओझा, जमींदार रहत एगो देशभक्त, निर्भीक, क्रांतिकारी कवी रहनी. राष्ट्रीय आन्दोलन में आपन ओजस्विनी आ विप्लवी कवितन में शौर्य, साहस, बलिदानी भावना के संचार करत रहनी. ईहा के चार भाई आ एक बहिन रहनी जेकरा में सबसे छोट रहनी “निर्भीक” जी. निर्भीक जी के माई के नाम राम सवारी देवी आ बहिन के नाम लखरानो देवी रहे. ईहा के बड भाई स्व० रामाशीष ओझा लईकाईये से आपन बडका बाबूजी पंडित महेश्वर ओझा के साथे जमशेदपुर में रहत रहनी. उहा के दुसरका भाई स्व० रामाधार ओझा ‘तुच्छ’ जी भी एगो कुशल कवी रही. निर्भीक जी के तिसरका भाई स्व० रास बिहारी ओझा अमेरिका में रही के ओहिजे काम करत रहनी आ उहा के सभ परिवार ओहिजे रहत रहले .
निर्भीक जी लईकाईये से “ होनहार विरवान के होत चिकने पात” मुहवारा के चरितार्थ करेवाला रहनी. घर में शिक्षित साहित्यिक परिवेश आ संस्कार उहा के चरित्र आ प्रतिभा के निखारे में सहायक बनल. उहा के छात्र जीवन में ही कविता, कहानी, एकांकी, निबंध, रेखाचित्र आदि के सृजन करे लागल रही. जेकर सराहना उनका साथे पढ़े वाले छात्र आ विद्यालय के अध्यापक करत रहले. शिक्षा प्राप्त कईला के बाद उहा के साल १९५३ में सेना के बढ़िया पद प बहाल हो गईनी . सेना में कुछ दिन काम कईला के बाद सैनिक जीवन से मुक्त होके १९५९ में जमशेदपुर के टेल्को कंपनी में काम करत हिंदी आ भोजपुरी के तपस्या में संलगन हो गईनी. आ एही घरी “बिहार की भोजपुरी लोक कथाओं का सांस्कृतिक अध्ययन” विषय प पी. एच. डी. के उपाधि १९८१ में प्राप्त कईनी .
डॉ० रसिक बिहारी ओझा, निर्भीक’ जी के विवाह ०९ जून १९५५ में श्रीमति प्रेम सुंदरी देवी के साथे भईल. निर्भीक, जी के तिनगो पुत्र आ एगो पुत्री बाड़ी. बड लईका श्री अभय कुमार ओझा व्यवहार न्यायालय खगड़िया में सहायक के पद पर कार्यरत आ साथे साथे भोजपुरी के लेखक भी बानी. उनकर विवाह श्रीमती लक्ष्मी ओझा के साथे भईल. निर्भीक जी के माझिल लईका श्री अजय कुमार ओझा टाटा कम्पनी में काम करत भोजपुरी आ हिंदी के बढ़िया लेखक बानी . अजय ओझा , ‘ निर्भीक सन्देश ’ नामक पत्रिका के सम्पादन भी करीले . अजय जी के विवाह श्रीमती मीना ओझा के साथे भईल. निर्भीक जी के सबसे छोट लईका श्री विजय कुमार ओझा दिल्ली में रहिके आपन व्यवसाय कर रहल बाडन. विजय के विवाह प्रज्ञा ओझा के साथे भईल. निर्भीक जी के लईकी कल्पना कुमारी के विवाह श्री अजय कुमार पाण्डेय के साथे भईल.
निर्भीक, जी के बारे में कतनो कहल जाव कम होई. उहा के भोजपुरी खातिर ढेर दमगर किताबन के लिख के प्रकाशित करवनी जवना से भोजपुरी के खजाना त बढेबे कईल आ ओकर मान्याता खातिर आधारों तेयार भईल . उहा के लिखल किताब हर विधा के रहे . जवना में भोजपुरी के पहिलका रेखा चित्र ‘सुरतिया ना बिसरे’-१९६४, स्वागत छाया नाट्य ‘परिछाही’-१९६६, एकांकी सग्रह ‘बुरबक बनाली’-१९६८, बाल एकांकी संग्रह ‘तमाचा’- १९७१, भोजपुरी भाषा के पहिलका ठोस व्याकरण ‘भोजपुरी शब्दानुशासन’-१९७५, भोजपुरी निति कथा-विशाल लोक कथा संग्रह ‘ सागर के कुछ मोती’-१९५८, कालिदास के लिखल मेघदूत के आसान भाषा में भोजपुरी अनुवाद-‘मेघदूत’-१९९२, एकरा बाद उहा के हिंदी में एगो कहानी संग्रह ‘शराफत के जुरमाना’-१९९४ बा. एह सब के अलावे उहा के कईगो किताबन के प्रकाशित आ बहुते संकलन आ पत्रिकन के संपादन भी कईले बानी. साहित्य के क्षेत्र में उनकर कईल योगदान के चलते देश में बहुते जगह से उहाके सम्मान कईल गईल आ मानद उपाधि भी देहल गईल. अईसन महान पुरुष के शत शत नमन बा. जय माई भाखा. जय भोजपुरी. अंत में अगर कुछ गलती हो गईल होखे त पाठक से छमा चाहब.
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लेखक परिचय:-

नाम: डाo उमेशजी ओझा
पत्रकारिता वर्ष १९९० से औरी झारखण्ड सरकार में कार्यरत
कईगो पत्रिकन में कहानी औरी लेख छपल बा
संपर्क:-
हो.न.-३९ डिमना बस्ती
डिमना रोड मानगो
पूर्वी सिंघ्भुम जमशेदपुर, झारखण्ड-८३१०१८
ई-मेल: kishenjiumesh@gmail.com
मोबाइल नं:- 9431347437
अंक - 99 (27 सितम्बर 2016)

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