माई - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

अंगना लिपेली, संइहारेलीं, दुअरा बहारेलीं, बबुआ के दुलारेलीं हो
माई! भोरे-भोरे सुरुज मनावेली अरघ चढावेलीं हो

चुल्हिया में अगिया जरावेली गोंईठा सुनगावेली, देवता के मनावेलीं हो
माई! भर दिन घरवा सम्हारेली, हुकुम बजावेलीं हो

बाबूजी के दुअरा अरहावेलीं, बतिया सुनावेलीं, बाबू के बोलावेलीं हो
माई! मिसी घसी टिकवा लगावेलीं, नजर उतारेलीं हो

अनजा के फटकत सुपुलिया से, आखत चलनिया से, झारत सुथनिया से हो
माई! जंतसर मंगल गांवेली, मन हुलसावेलीं हो

दूरि करे कुल्ही थकहरिया से सगरो फिकिरिया से, आपन सनेहिया से हो
माई! अंगूरी पकड़ी के चलावेली माथ सुहरावेलीं हो

गरमे गरम खइका खियावेलीं, हथवो जरावेलीं, आँचर लथरावेलीं हो
माई! हथवा से बेनिया डोलावेली, बहुते याद आवेलीं हो
--------------------------------------------

लेखक परिचय:-

नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
मैनेजिग एडिटर (वेव) भोजपुरी पंचायत
बेवसाय: इंजीनियरिंग स्नातक कम्पुटर व्यापार मे सेवा
संपर्क सूत्र:
सी-39 ,सेक्टर – 3
चिरंजीव विहार, गाजियावाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
अंक - 85 (21 जून 2016)

2 टिप्‍पणियां:

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.