छोड़ गइल
दिल में मिलन के आस जगा
बीच राह केहू छोड़ गइल
एही में चलल पवन पूरवइया
जडला में खोर गइल।
दोस आपन कहीं ना किसमत के
काल्ह ले बोलत रहे कागा अंगना में
अब ऊहो मुँह मोड़ गइल।
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एकदमे बारें अनाड़ी,
लाखो रोपेया घोंटलो का बाद
आज ले बारें भिखारी,
रात-दिन ऊ घरे-घरे घूमलें
मानी बिनय हमारी,
अबकि अगर जीत गएनी तऽ
बनी छत पर घर सरकारी।
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दिल में जमल रहे जवन प्यार के खखोड़ी
ओकरा के खखोर दिहलू
बनाके सनिमा लंगट उघार आला
भोजपुरियन का इज्जत के बखोर दिहलू।
अपना संस्कृति के लूटे में
पीछा नइखन कुछ भोजपुरिया
ज्ञानी होइओ के तू भोले का नगरी के
मान सम्मान सभ भंभोड़ दिहलू।
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बीच राह केहू छोड़ गइल
एही में चलल पवन पूरवइया
जडला में खोर गइल।
दोस आपन कहीं ना किसमत के
काल्ह ले बोलत रहे कागा अंगना में
अब ऊहो मुँह मोड़ गइल।
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एकदमे बारें अनाड़ी
छल कपट कुछ ना जानसएकदमे बारें अनाड़ी,
लाखो रोपेया घोंटलो का बाद
आज ले बारें भिखारी,
रात-दिन ऊ घरे-घरे घूमलें
मानी बिनय हमारी,
अबकि अगर जीत गएनी तऽ
बनी छत पर घर सरकारी।
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दिल में जमल रहे जवन प्यार के खखोड़ी
ओकरा के खखोर दिहलू
बनाके सनिमा लंगट उघार आला
भोजपुरियन का इज्जत के बखोर दिहलू।
अपना संस्कृति के लूटे में
पीछा नइखन कुछ भोजपुरिया
ज्ञानी होइओ के तू भोले का नगरी के
मान सम्मान सभ भंभोड़ दिहलू।
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लेखक परिचय:-
नाम-दिलीप कुमार पाण्डेयबेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238
अंक - 85 (21 जून 2016)
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