दिलीप पांडेय जी कऽ तीन गो कबिता

छोड़ गइल 

दिल में मिलन के आस जगा
बीच राह केहू छोड़ गइल

एही में चलल पवन पूरवइया
जडला में खोर गइल।
दोस आपन कहीं ना किसमत के
काल्ह ले बोलत रहे कागा अंगना में
अब ऊहो मुँह मोड़ गइल।
-------------------------------------

एकदमे बारें अनाड़ी

छल कपट कुछ ना जानस
एकदमे बारें अनाड़ी,
लाखो रोपेया घोंटलो का बाद
आज ले बारें भिखारी,
रात-दिन ऊ घरे-घरे घूमलें
मानी बिनय हमारी,
अबकि अगर जीत गएनी तऽ
बनी छत पर घर सरकारी।
-------------------------------------

दिल में जमल रहे जवन प्यार के खखोड़ी
ओकरा के खखोर दिहलू
बनाके सनिमा लंगट उघार आला
भोजपुरियन का इज्जत के बखोर दिहलू।
अपना संस्कृति के लूटे में
पीछा नइखन कुछ भोजपुरिया
ज्ञानी होइओ के तू भोले का नगरी के
मान सम्मान सभ भंभोड़ दिहलू।
------------------------------------- 

लेखक परिचय:-

नाम-दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238
 
अंक - 85 (21 जून 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.