बरिसेला आसारह जब - राजीव उपाध्याय

बरिसेला आसारह जब
भूईं सीझल सोन्हा जाले
टह-टह घाम
पएना के पठा जाले।

कि जुआठ लादऽ
नथिया कसऽ बैलन के
पीटवा लऽ फार
पूरूआ के मन बहके।

गोंइया जेकर बा
खेते के हाल अब
जोती, बोई, रोपी
जिनगी के फर बस।

अंखुआई जेवन काल्ह
बिया उखराई, रोपाई उहे
अइसे लहकेला धान
गाड़े काँहे खूँटा खेते?
--------------------------

लेखक परिचय:-

नाम: राजीव उपाध्याय
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
फेसबुक: https://www.facebook.com/rajeevpens 
अंक - 86 (28 जून 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.