जान जाई त जाई, ना छूटी कभी
बा लड़ाई ई लामा, ना टूटी कभी॥
रात-दिन ई करम हम त करबे करब
आई त आई, ना रुकी कभी॥
बा दरद राग-रागिन के, गइबे करब
दुख आई त आई, ना झूठी कभी॥
साथ साथी के हमरा ई जबसे मिलल
नेह के ई लहरिया, ना सूखी कभी॥
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अंक - 14 (10 फरवरी 2015)
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