केऊ ना जाई संग साथी बन्दे - स्वामी भिनक राम

केऊ ना जाई संग साथी बन्दे ! केऊ॥

जइसे सती हँसकर बन्दे, ऊ काया जल जाती
दिन चार राम केऊ भजिले, बान्ह का ले जइबऽ गाँठी॥

भाई-भतीजा हिलमिल के बइठे, ओही बेटा ओही नाती
अंतकाल के काम ना अइहें, समुझि समुझि फाटी छाती॥

जम्हु राजा के पेआदा जब अइले आइ रोके घँट छाती
प्राण निकल बाहर हो गइले, तन मिल गइले माँटी॥

खाइल पीअल भोग-बिलासल, ई न जात संग साथी,
सिरी भिनक राम दया सतगुरु के, सतगुरु कइले साँची॥
----------------------------------

लेखक परिचय:-

नाम: स्वामी भिनक राम
जन्म: चम्पारण, बिहार 
अंक - 78 (03 मई 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.