सम्पादकीय: अंक - 75 (12 अप्रैल 2016)

भोजपुरी में राहुल सांकृत्यायन 

9 अप्रैल के दिने राहुल सांकृत्यायन जी कऽ जनम भइल रहल। जनम अउरी शिक्षा-दीक्षा भोजपुरिया क्षेत्र (आजमगढ़ अउरी बनारस) में भइल अउरी माई-भाखा भोजपुरी बाकिर इहाँ के करम-भाखा बनन हिन्दी। भोजपुरी से मेल बस एगो संजोग रहल। भा ई कहल जाओ कि उहाँ के भाग में माई-भाखा के करज उतारे के रहल। किसान आंदोलन अउरी असहयोग आंदोलन के घरी छपरा के परसागढ में कई साल के रहबास इहाँ के भोजपुरी भाखा, लोकगीत अउरी लोककथा से इहाँ के भेंट करवलस। सङे-सङे किसानन के सुख-दुख जाने के कोसिस में उहाँ के भोजपुरी में बोले अउरी लिखे शुरू कइनी। भोजपुरी से जागल ई नेह देखत-देखत आठ गो नाटक, अनेकन भाषण अउरी कुछ लेख में बदलि गइल जेवन एह बेरा भोजपुरी के थाती बा अउरी भोजपुरिया लोगन के एकेर बाड़ा मानो बा। 
उहाँ के आठों नाटक भोजपुरी खाती बरिआर चीझु बा बाकिर आज ले उहाँ के काम पर केवनो ढंग के आलोचना भा मूल्यांकन नइखे भइल। भोजपुरिया साहित्यकार एही बात से उतान बाड़े की राहुल सांकृत्यायन जी भोजपुरी में लिखनी एतने बहुत बा अउरी ओके महान मानल हमनी जिम्मेवारी बा। बाकिर एतने से केवनो साहित्यकार भा रचना के जोगदान के महता तै ना हो जाला बलुक ओह रचना अउरी साहित्यकार के एक ढंग से हासिया डाल दियाला। आज जब भोजपुरी अपनी अस्मिता के लड़ाई लड़ि रहल बे तऽ जरूर बा कि राहुल सांकृत्यायन के सङे-सङे बाकी सगरी साहित्यकारन के जोगदान के मूल्यांकन होखे। 
अपनी सगरी नाटकन में राहुल सांकृत्यायन जी अपनी समय के सवाल उठावले बानी बाकिर कुछ नाटक जोंक, मेहरारून के दुर्दशा अउरी नयकी दुनिया में उठावल सवाल आजो उतने महता के बा जेतना उहाँ के घरी रहल। बाकिर उहाँ के भोजपुरी साहित्य अ उरी हिन्दी साहित्य के स्तर में बड़ा फरक देखल जा सकेला। जेतना बढिया अउरी बरिआर जोगदान उहाँ के हिन्दी में कइले बानी ओकर टूकीओ भोजपुरी खाती नइखी कऽ पवले। काहाँ ले उहाँ के भोजपुरी राहि देखवती बाकिर उहाँ के अपनी सबदन से समझौता करत नजर आवत बानी। 
----------------------------------------
दस अप्रैल के राती खा डॉ बच्चन पाठक ‘सलिल’ जमशेदपुर में आपन देंह छोड़ देहनी। उहाँ के भोजपुरी अउरी हिन्दी साहित्य में जोगदान खाती नमन। उहाँ इयाद में एह अंक उहाँ चार गो कबिता परकासित भइल बा। 
----------------------------------------
14 अप्रैल के बाबा साहेब के जनमदिन हऽ। मैना परिवार के ओर से नमन एह विभुति के जेवन हमनी के एगो बेहतर जिनदी देबे में आपन जोगदान कइनी। 
----------------------------------------
अंक - 75 (12 अप्रैल 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.