बिहार कऽ इतिहास - आशीष कुमार मिश्रा

बिहार के महातम ना केवल अभिए बल्कि बहुत पहिले से हवे। प्राचीन भारत में लगभग ४७५ ई. तक यानि गुप्त वंश तक जेतना भी राजा भईलन उनकर बिहारे एगो राज्य रहल औरी जवन अपना ओर सभेके लुभवलस। एकर प्रमाण उ लोग के राजधानी से लगावल जा सकेला। पुरनका बिहार जेकरा में अंग (पूरबी बिहार), बिदेह (उत्तर बिहार), मगध (दखिन बिहार) अउर वैशाली/लिच्छवी (उत्तर बिहार) शामिल रहे, उ पुरनका भारत में शक्ति, ज्ञान अउर संस्कृति के केंद्र रहल। मगध से भारत के पहिलका सबसे महान साम्राज्य उभरल, जेकरा के सभे मौर्य साम्राज्य के नाम से जानत बा, उ संसार के वोह साम्राज्यन में रहे, जवन कि धरम का पालन करत रहे। मगध साम्राज्य पूरा दखिनी एशिया को एक राज के अन्दर कईले रहे। एह काम में मौर्य साम्राज्य के अलावे गुप्त राजवंश के भी खूबे योगदान रहे। बिहार जेकर राजधानी पटना ह, ओकरा के पाटलिपुत्र, कुसुमपुर नाम से भी जानल जाला, जवन कि भारतीय सभ्यता के बहुत खास केंद्र रहे के प्रसिद्धि हासिल कईले बा। एही क्रम में शिक्षा के महत्त्वपूर्ण केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय के स्थान भी ना केवल भारत में ही अपितु पूरा विश्व में प्रसिद्ध बा।

प्राचीन काल 

मुख्य लेख: बिहार के प्राचीन इतिहास
प्राचीन काल में मगध के साम्राज्य देश के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यन में से एगो रहल। अहिजा से मौर्य वंश, गुप्त वंश तथा अन्य कई राजवंशकुल देश के अधिकतर हिस्सवन पर राज कइले। मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक के साम्राज्य पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान तक फैलल रहल। मौर्य वंश के शासन ३२५ ईस्वी पूर्व से १८५ ईस्वी पूर्व तक रहल। छठी आ पांचवी सदी इसापूर्व में अहिजा बौद्ध तथा जैन धर्मवन के उद्भव भईल। अशोक, बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभईले रहलन आ उ आपन लईका महेन्द्र के बौद्ध धर्म के प्रसार खातिर श्रीलंका भेजले। उ आपन लईका के पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) के एगो घाट से विदा कइले रहलन जवन महेन्द्र के नाम से अब भी महेन्द्रू घाट कहल जाला। बाद में बौद्ध धर्म चीन तथा चीन के रास्ते जापान तक पहुंच गईल। 
बिहार के ऐतिहासिक नाम मगध रहल। बिहार के राजधानी पटना के ऐतिहासिक नाम पाटलिपुत्र ह।

मध्यकाल 

मुख्य लेख: बिहार क मध्यकाल के इतिहास
बारहवीं सदी में बख्तियार खिलजी बिहार पर आधिपत्य जमा लिहले। उके बाद मगध देश के प्रशासनिक राजधानी ना रहल। जब शेरशाह सूरी, सोलहवीं सदी में दिल्ली के मुगल बाहशाह हुमायूँ के हरा के दिल्ली के सत्ता पर कब्जा कइले तब बिहार के नाम पुनः प्रकाश में आईल पर इ अधिक दिनन तक ना रह पावल। अकबर बिहार पर कब्जा करके बिहार के बंगाल में विलय कर दिहले। इके बाद बिहार के सत्ता के बागडोर बंगाल के नवाबन के हाथन में चल गईल। बिहार के अतीत गौरवशाली रहल बा।

आधुनिक 

मुख्य लेख: बिहार क आधुनिक इतिहास
1857 के प्रथम सिपाही विद्रोह में बिहार के बाबू कुंवर सिंह महत्वपूर्ण भूमिका निभइले। 1912 में बंगाल के विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम के राज्य अस्तित्व में पुन आइल। 1935 में उड़ीसा इसे अलग कर दिहल गईल। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार के चंपारण के विद्रोह के, अंग्रेजवन के खिलाफ बग़ावत फैलावे में अग्रगण्य घटनावन में से एगो गिनल जायेला। स्वतंत्रता के बाद बिहार के एक और विभाजन भईल आ सन् 2000 में झारखंड राज्य इसे अलग कर दिहल गईल। भारत छोड़ो आंदोलन में भी बिहार के गहन भूमिका रहल।
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लेखक परिचय:-

नाम: 
आशीष कुमार मिश्रा
 
बेवसाय:इन्जीनियर
गोपालगंज बिहार





अंक - 68 (23 फरवरी 2016)

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुते सुन्नर अउर जथार्थपरक जानकारी खातिर साधुवाद। पूरा विस्वास बा की अब आगे आशीष कुमार जी रचना, आलेख आदी बराबर पढ़े के मिली। सादर। जय-जय

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  2. बहुत बहुत आभार माननीय
    बस आशीष बनवले रही

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  3. उत्तर
    1. बहुत ही करीना से रउरा बिहार के इतिहास प्रस्तुत कईले बानी। आगे भी रउआ लेख के इंतज़ार रही हमनी सब के।

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  4. Bahut hi sundarwa likhe h Ashiswa. . Udher jaike e kaam karan lagayi tushar. ..
    Engineering tyag kar diye ka

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