जिअs जिअs ऐ जवान - राम प्रकाश तिवारी

अब राम जी रहेलन पलानी में,
जीय-जीय हो जवान,

बनी पलंग के पहलवान,
आग लागो तोहरी अइसन जवानी में।


दिन भर दारु-ताडी पियस,

सांझी के जा के लुकास चुहानी में,
जीय-जीय हो जवान,
आग लागो तोहरी अइसन जवानी में।

कहीं माई-बाप पुकारे, कहीं बहिनी करे पुकार

बाकिर मेहरी आगे सुनाय
ना तोहरा केहु के बानी,
ना जाने कहीया जागी तोहरो जवानी
कह कब ले रखबs आपन ,
तलवार लुका के मयानी में
जीय-जीय हो जवान,
आग लागो तोहरी अइसन जवानी में।

अपने त रहेलs महल-अटारी में

काहे रखले बाड़s राम जी के अबले पलानी में,
कर के देशवा खातिर कुछ बलिदान लिखवालs
तुंहु आपन नाम अमर कहानी में
जीय-जीय हो जवान,
आग लागो तोहरी अइसन जवानी में।

बीर रस सुने के तरसे कान सभकर

तु काहे फंसी गईल बाड़ तिरिया के बानी में,
जीय-जीय हो जवान,
आग लागो तोहरी अइसन जवानी में।
-----------------------------------

लेखक परिचय:-


नाम: राम प्रकाश तिवारी 
बेवसाय: सहायक प्राध्यापक, 
टेक्निया इंस्टीट्युट ऑफ ऐडवांस्ड स्टडीज़
गाजियावाद (उ. प्र.)
अंक - 62 (12 जनवरी 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.