सब दिन होत न एक समाना
एक दिन राजा हरिश्चन्द्र
गृह कंचन भरे खजाना
एक दिन भरे डोम घर पानी
मरघट गहे निशाना
सब दिन होत न एक समाना
एक दिन राजा रामचन्द्र जी
चढ़ के जात विमाना जी
एक दिन उनका वनवास भयो
दशरथ तजे प्राणा साधु
सब दिन होत न एक समाना
एक दिन अर्जुन महाभारत में,
जीते इन्द्र समाना जी
एक दिन भीलन लुटी गोपिका
वही अर्जुन वही बाणा
सब दिन होत न एक समाना
एक दिन बालक भयो गोदीया मा
एक दिन भयो सयाना
एक दिन चिता जरे मरघट पे
धुआं जात असमाना
सब दिन होत न एक समाना
कहत कबीर सुनेउ भाई साधो
यह पद हे निर्वाणा
यह पद का जो अर्थ लगइहें
होनहार बलवाना
सब दिन होत न एक समाना
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अंक - 49 (13 अक्टूबर 2015)
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