नागिन बन के डंसे डगरिया
धरती खसके पाँव से,
जब गुजरीं तोहरा गाँव से॥
छुपी कबले करुण कहानी
खोली राज जमाना
मंजिल तक जो ना पहुँचब
ई दुनिया मारी ताना
जब जब बइठल सोचीं सहमे
मनवा एही भाव से॥
जेतने दरद दबाईं दिल के
नेहिया पनपत जाले
देखीं कली के संग भँवरा ई
रहा रहा जियरा साले
हियरा हहरे हवले हवले
तोहरा ए अलगाव से॥
महक उठेला मन मंदिर में
प्रीतन के धूप काठी
हमरा तोहरा रुप गुण के
ई अंतर कब पाटी
जब जब गुजरीं तोहर नगरी
निरखीं नीके चाव से॥
सोना चंदन चान के टुकड़ा
कोइल के अस बोली
देहिया चितवा चमके चेहरा
याद पड़े हमजोली
नि:स्वारथ जो प्रेम ई पनके
चैन चोरावे दाव से॥
जयकवि कइसे दिल दरिया के
उठत ज्वार दबइहें
रूह जो रोवे केहू न जाने
कइसे नयन छुपइहें
धरम धरोहर करम कमाई
तोहरे लगन लगाव से॥
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