तोरि के पाताल के आकाश में उछाल देब
ढाल देब पानी-पानी पूरा एक दान में॥
बाहु बल बिधि क बिधान हेर फेर देब
का करी अकाल जान डाल देब जान में॥
धानी रंग धरती क रंग नाहीं उतरी त
उतरी कब उतरी सोनहुला सिवान में॥
रूठ जाय अदरा औ बदरा भी रूठ जाय
भदरा न लागे देब खेत खरिहान में॥
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लेखक परिचय:-
नाम: राम जियावन दास 'बावला'
जनम: 1 जून 1922, भीखमपुर, चकिया, चँदौली, उत्तर प्रदेश
मरन: 1 मई 2012
रचना: गीतलोक, भोजपुरी रामायण (अप्रकासित)
अंक - 47 (29 सितम्बर 2015)
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