अप्रिय हितैषी - अमरकांत

रामसुख लाल हमेसा नीमन सोचेलन अउर नीमन करेलन भी, बाकिर सब बात में उनकरा अपयसे काहें मिलेला? उनकर पत्नी गुस्सा के कहेली, ''रउआ चुपचाप घर में काहे ना बइठीं ना, सब जगह बेमतलब के लुप-लुप पहुंच जाइला आ ओइसने बातो करे लागीं ला. एकरा से राउर इज्जत दू कौड़ी के हो गईल बा अउर दूसरा लोग के नजर में हमहूं हल्का पड़ गईल बानी.''


बाकिर रामसुख लाल प एकर कौनो असर नईखे अउर जिनगी के उनकर सफर अबाध गति से जारी बा. अब एकरा खातिर केहू का करी कि उनकर आवाज भारी मोट अउर बुलंद बा अउर सुख आ दु:ख दूनो स्थिति में ऊ समान स्वर में कडु़वा सच के साथे कुछ अईसन अनर्गल बोल देबेलन, जेकरा में बिन मांगल सलाह भी होला. ऊ गप्पबाज त नईखन अउर राजनीति प बहस कइल भी उनका नीक ना लागेला, बाकिर दूर से उनकर अकेला आवाज सुनके भी अइसन महसूस होला कि दू-तीन व्यक्ति बहस कर रहल बा. शायद कुछ अइसने गुण के कारण लोग उनका राज के कौनो बात बतावे से परहेज करे लन आ कवनो अदिमी उनका से गुप्त सलाह मशविरा कइल ना चाहे. सभे जानत बा कि धीमा स्वर में ऊ बोल ना सकेलन अउर बिन बोले ऊ रह ना सकिहन आ कुछो अंड-बंड जरूर बोल दिहन जेकरा से चारों तरफ डुगडुगी पिट जाई.

ऊ एगो मशहूर मेडिकल कंपनी के सेल्स एजेंट रहलन, बाकिर पहिले साल में ऊ एतना अच्छा बिजनेस कईलन कि जल्दीये उनकरा के एरिया मैनेजर के पद प प्रोन्नत कर दीहल गईल. अचरज बा कि कंपकंपा देवे वाला अइसन गंभीर आवाज के धनी आ अप्रिय अउर गैरजरूरी सच बोल के पर्याप्त अपयश अर्जित करे वाला व्यक्ति डॉक्टरन के बिरादरी में एतना सफल कइसे हो गईल! एगो मशहूर डॉक्टर के एह संबंध में ई राय बा कि 'देखीं ए साहब, ई शख्स पचहत्तर फीसदी गैरजरूरी बात करेलन, बाकिर बाकी पच्चीस फीसदी जे कुछ कहे-बतावेलन, ऊ शुद्ध सोना होवेला. दवा के बारे में जवन भी सूचना देबेलन, एकदम सही होला, कबो कवनो धोखाधड़ी नाहीं. हम आंख मूंद के उनका प विश्वास करीं ला. फेरु इहो सोचीं कि रोग-शोक के मनहूस जिनगी बा हमार, ओकरा में हमरो के कुछ राहत आ मनोरंजन के जरूरत होला-त उनकराआवे से ई सब हमरा के मिल जाला, चहल-पहल अलग. देखीं एह दुनिया में हर आदमी काफी फालतू बात करेला, बाकिर जब एगो सच्चा आदमी आपन गोल्डेन आवाज में इहे बात करेला, हमनी के बड़ा सुहावन लागेला. 

बाकिर घर, ससुराल आ समाज के अउरी लोगन के अइसन राय नइखे. कुछ समय पहिले रामसुख लाल अपना ससुराल गइल रहलन. उहां भी सास, ससुर आ साला सभे उनकराआगमन से डेराइल रहे, कि कवनो अइसन बात ना बोला जाए, जेकरा से पड़ोसियन के बीच उनकरखानदान के इज्जत में बट्टा लाग जाए. जब ऊ नाश्ता करे लगलन, त सासुजी भगवान से मौन प्रार्थना करत रही कि ऊ उनकरे अविवाहित लइकी के संबंध में कवनो सवाल ना कर बइठस. बात ई बा कि मीता के शादी चार-पांच बरिस से तय ना हो पावत रहे आ ऊ लोग काफी परेशान रहे. शायद भगवान उनकर प्रार्थना सुन लिहलन, काहें कि रामसुख लाल एहर-ओहर के अइसन बात कइलन जेकरा से कवनो नुकसान ना होला. बाकिर जब ऊ विदा होवे खातिर उठलन, त पता ना कइसे उनके आपन साली मीता के इयाद आ गइल. फेर का रहे, एगो काफी बुलंद आवाज आंगन, आकाश आ मुहल्लन में गूंज उठल.

'मीता के शादी तीन-चार साल से लाग-लाग के क ट जात रहे, फेर त ना नू कट गईल?' 

एह बेतुकी आ फालतू बात से सासुजी के चेहरा फक पड़ गइल. ऊ डेरा के अगल-बगल देखली, फेर काफी धीमा आवाज में संक्षेप में सूचना दीहली कि एगो जगह बात चलत बा आ पूरा उम्मीद बा. शायद रामसुख लाल के एकरा से संतोष ना भइल आ जाए के पहिले टिप्पणी जड़ दिहलन- का करब, जमनवे अइसन आ गइल बा. जेकरा पासे पइसा कौड़ी नइखे, उनकर एमए पास सुंदर लइकी भी बिन बिआहे घरे बइठल रह जाई. रउआ लोग भी त ऊंचा ओहदा के अफसर चाहतानी! ई ना कि आपन हैसियत के बराबर के कवनो विचारवान क्लर्क ढूंढ के शादी तय कर दीं. बाकिर का करब, आज एगो मामूली क्लर्क भी त गल्ला भर के पइसा मांगता. रउआ लोग भी मीता के घर में बइठा के सड़ावत बानीं, अरे क वनोकान्वेंट स्कूल में टीचरी त दिला दीहीं. स्कूल त बरसाती घास नियन गली-गली खुल गइल बा. दू-चार सौ जवन भी मिली, पाउडर आ सेंट-वेंट के खर्चा निकली अउर तबीयत भी बहली.'

हे भगवान्! दुनिया भर के ताकत त इनके कंठ में बा. अइसे बोल रहल बाड़े जइसे सौ गो लाउडस्पीकर एक साथे बोलत होखे. सासुजी उनका जाये के बाद रो के बुदबुदाए लगली. ई घर के बड़ दमाद हउवनï! ऊ दमाद दूसर होखेला जे ससुराल में धीमे बोलेला आ आपन आ अपना ससुराल, दूनों के इज्जत केे रक्षा करेला. बाकिर एकरा से इनका का मतलब? दूसरा के इज्जत नीलाम कइला के बाद त पेट के पानी पचेला.

रामसुख लाल के दूसरका विशिष्टï पहचान बा कि अटल कंजूस हवन. निश्चय ही ई सुख आ दु:ख के मौका प पहुंच के ओकरा मोताबिक शाब्दिक ऊर्जा खर्च करेले. बाकिर रुपया पैसा खरचे में इंहा के दोसरे नजरिया ह. कहीं रिस्तेदारी में कबो मिठाई के डिब्बा आ शादी बिआह में पांच रुपया से अधिक के नेवता आ शगुन देहले होखीं. ई देखे आ सुने के कबो नइखे मिलल. इंहा के साफ-सुथरा पोशाक में हाथ हिलावत आइला आ हाथ हिलवते रूखसत हो जाइला. एकरा प केहू कही का, तबो एक आध आदमी त मिलिए जाला जे नीचे मुंह क के एगो अंगुली के संकेत के बाद कहिये देला कि बड़ा घाघ हउवन. कछुआ के खोल जइसन कवनों चीज के असर ना होखे. महिला लोग कबो-कबो एक-दूसरा के देख के मटकी मारके बड़ा हंसे लागेली सन. गजब के बात त ई भइल कि ई लाइलाज कंजूस आ आपन इकलौता इंजीनियर बेटा के शादी एगो गरीब खानदान के शिक्षित बेटी से कर देहले बाड़े, जेकरा के लइका पसंद करत रहे. कवनो लेन-देन के बगैर समारोह सादगी से संपन्न भइल. प एह प आम लोग के राय ई बा कि अइसन मक्खीचूस दहेज ना ले, संभवे नइखे. सादगी-वादगी त नाटक बा.

शादी के बाद एगो उनकर मुंहलगुआ साला चेतन छेड़ देहले. जीजा, सुनतानी रउआ बड़ा खजाना मिलल बा.अकेले पचा लेहनी आ डकरबो ना कइनीं.

रामसुख लाल एकर बुरा ना मानेनी, बाकिर कहकहा लगा के स्वयं मसखरी प उतर आवे ले. उहां के कहकहा बड़ा अनमोल होला, जइसे गंभीर जुकाम में केहु गुनगुना पानी के गरारा करत होखे, त उहां के नहला प दहला लगाइले-घर भर देवर, भतार से ठट्ठा जाके अपना बहिन से पूछीं, सब कुछ मालूम हो जाई.

कुछ समय बाद के बात ह, एक दिन रामसुख लाल अपना ससुराल पहुंच के, बिना कवनो भूमिका के बोलले कि मीता के शादी खातिर तइयार हो जाएके, एगो बड़ा हीरा लइका मिल गईल बा. बीएससी पास बा आ रेलवे में ड्राइवर के नौकरी में चुना गइल बा. सुंदर बा, विचारवान बा, ओकर आ मीता के जोड़ी खूब अच्छा होई. कवनो झंझट के बात नइखे. बस एक दूसरा के पसंद कईला के बात बा.

ए राम, खलासी-ड्राइवर!' सासु जी मत्थे के आंचल के कुछ आगे खींच के असंतोष प्रकट कर दिहनीं. रामसुख लाल जोर के कहकहा लगा के आपन राय प्रकट कइलन, जइसे लाउडस्पीकर प बोलल जात होखे, आज हमरा समझ में आ गइल कि रउरे चिक-चिक से मीता के शादी तय नइखे हो पावत. राउर ई सोचल ठीक बा कि मीता सुंदर आ सुकांत बाड़ी. एमए पास बाड़ी आ बीएससी पास लइका के पहिले ट्रेनिंग के क्रम में इंजिन प खलासी के जइसन काम करे के पड़ी. सही मायने में त ड्राइवर ऊ बाद में बनीहन आ कुछ साल के बाद तरक्की करिहें त फोरमैन बनिहें. अम्मा जी, रउआ ई सोचीं कि अब अइसन दमाद मिल गइला के बाद रउआ परिवार के चारो धाम के इच्छा पूरा हो जाई. अगर रुपया-पइसा के कमी के बात सोचतानी त चिन्ता कइला के बात नइखे. खुशी-खुशी जेतना संभव हो सके खर्च करब आ बाकी के जिम्मा हमार. अगर लइकी के घर में बइठावे के होखे त साफ-साफ बतार्इं....एही बुलंद आवाज में अप्रिय स्पष्टïवादिता से आतंकित होके सासुजी अपना मालिक के तरफ देखली आ पति भी ओही अंदाज में पत्नी के घुड़क दिहले आ ऊ बीच में कुछुओ ना बोल पवली. एकरा बाद रूकावटे ना भइल आ शादी भी कुछ समय के बाद तय हो गइल. बाकिर एकर श्रेय भी रामसुख लाल के ना मिलल. उल्टे पीठ पाछे उनकरा विरुद्घ अफवाह जइसन फुसफुसाहट चले लागल, जइसन ताज ओहिसन शोभा. जइसन खुद फालतू आ फटीचर बाड़े ओहिसने लइका ढूंढ के लेआइल बाड़े. आपन इकलौता इंजीनियर बेटा के शादी एगो गरीब खानदान के शिक्षित बेटी से कर देले बाड़े, जेकरा के लइका पसंद करत रहे. रामसुख लाल हमेसा नीमन सोचेलन अउर नीमन करेलन भी, बाकिर सब बात में उनकरा अपयसे काहें मिलेला? उनकर पत्नी गुस्सा के कहेली, ''रउआ चुपचाप घर में काहे ना बइठीं ना, सब जगह बेमतलब के लुप-लुप पहुंच जाइला आ ओइसने बातो करे लागीं ला. एकरा से राउर इज्जत दू कौड़ी के हो गईल बा अउर दूसरा लोग के नजर में हमहू हल्का पड़ गईल बानी.''

बाकिर रामसुख लाल प एकर कौनो असर नईखे अउर जिनगी के उनकर सफर अबाध गति से जारी बा. अब एकरा खातिर केहू का करी कि उनकर आवाज भारी मोट अउर बुलंद बा अउर सुख आ दु:ख दूनो स्थिति में ऊ समान स्वर में कडु़वा सच के साथे कुछ अईसन अनर्गल बोल देबेलन, जेकरा में बिन मांगल सलाह भी होला. ऊ गप्पबाज त नईखन अउर राजनीति प बहस कइल भी उनका नीक ना लागेला, बाकिर दूर से उनकर अकेला आवाज सुनके भी अइसन महसूस होला कि दू-तीन व्यक्ति बहस कर रहल बा. शायद कुछ अइसने गुण के कारण लोग उनका राज के कौनो बात बतावे से परहेज करे लन आ कवनो अदिमी उनका से गुप्त सलाह मशविरा कइल ना चाहे. सभे जानत बा कि धीमा स्वर में ऊ बोल ना सकेलन अउर बिन बोले ऊ रह ना सकिहन आ कुछो अंड-बंड जरूर बोल दिहन जेकरा से चारों तरफ डुगडुगी पिट जाई.

ऊ एगो मशहूर मेडिकल कंपनी के सेल्स एजेंट रहलन, बाकिर पहिले साल में ऊ एतना अच्छा बिजनेस कईलन कि जल्दीये उनकरा के एरिया मैनेजर के पद प प्रोन्नत कर दीहल गईल. अचरज बा कि कंपकंपा देवे वाला अइसन गंभीर आवाज के धनी आ अप्रिय अउर गैरजरूरी सच बोल के पर्याप्त अपयश अर्जित करे वाला व्यक्ति डॉक्टरन के बिरादरी में एतना सफल कइसे हो गईल! एगो मशहूर डॉक्टर के एह संबंध में ई राय बा कि 'देखीं ए साहब, ई शख्स पचहत्तर फीसदी गैरजरूरी बात करेलन, बाकिर बाकी पच्चीस फीसदी जे कुछ कहे-बतावेलन, ऊ शुद्ध सोना होवेला. दवा के बारे में जवन भी सूचना देबेलन, एकदम सही होला, कबो कवनो धोखाधड़ी नाहीं. हम आंख मूंद के उनका प विश्वास करीं ला. फेरु इहो सोचीं कि रोग-शोक के मनहूस जिनगी बा हमार, ओकरा में हमरो के कुछ राहत आ मनोरंजन के जरूरत होला-त उनकराआवे से ई सब हमरा के मिल जाला, चहल-पहल अलग. देखीं एह दुनिया में हर आदमी काफी फालतू बात करेला, बाकिर जब एगो सच्चा आदमी आपन गोल्डेन आवाज में इहे बात करेला, हमनी के बड़ा सुहावन लागेला.

बाकिर घर, ससुराल आ समाज के अउरी लोगन के अइसन राय नइखे. कुछ समय पहिले रामसुख लाल अपना ससुराल गइल रहलन. उहां भी सास, ससुर आ साला सभे उनकराआगमन से डेराइल रहे, कि कवनो अइसन बात ना बोला जाए, जेकरा से पड़ोसियन के बीच उनकरखानदान के इज्जत में बट्टïा लाग जाए. जब ऊ नाश्ता करे लगलन, त सासुजी भगवान से मौन प्रार्थना करत रही कि ऊ उनकरे अविवाहित लइकी के संबंध में कवनो सवाल ना कर बइठस. बात ई बा कि मीता के शादी चार-पांच बरिस से तय ना हो पावत रहे आ ऊ लोग काफी परेशान रहे. शायद भगवान उनकर प्रार्थना सुन लिहलन, काहें कि रामसुख लाल एहर-ओहर के अइसन बात कइलन जेकरा से कवनो नुकसान ना होला. बाकिर जब ऊ विदा होवे खातिर उठलन, त पता ना कइसे उनके आपन साली मीता के इयाद आ गइल. फेर का रहे, एगो काफी बुलंद आवाज आंगन, आकाश आ मुहल्लन में गूंज उठल.

'मीता के शादी तीन-चार साल से लाग-लाग के क ट जात रहे, फेर त ना नू कट गईल?' 

एह बेतुकी आ फालतू बात से सासुजी के चेहरा फक पड़ गइल. ऊ डेरा के अगल-बगल देखली, फेर काफी धीमा आवाज में संक्षेप में सूचना दीहली कि एगो जगह बात चलत बा आ पूरा उम्मीद बा. शायद रामसुख लाल के एकरा से संतोष ना भइल आ जाए के पहिले टिप्पणी जड़ दिहलन- का करब, जमनवे अइसन आ गइल बा. जेकरा पासे पइसा कौड़ी नइखे, उनकर एमए पास सुंदर लइकी भी बिन बिआहे घरे बइठल रह जाई. रउआ लोग भी त ऊंचा ओहदा के अफसर चाहतानी! ई ना कि आपन हैसियत के बराबर के कवनो विचारवान क्लर्क ढूंढ के शादी तय कर दीं. बाकिर का करब, आज एगो मामूली क्लर्क भी त गल्ला भर के पइसा मांगता. रउआ लोग भी मीता के घर में बइठा के सड़ावत बानीं, अरे क वनोकान्वेंट स्कूल में टीचरी त दिला दीहीं. स्कूल त बरसाती घास नियन गली-गली खुल गइल बा. दू-चार सौ जवन भी मिली, पाउडर आ सेंट-वेंट के खर्चा निकली अउर तबीयत भी बहली.'

हे भगवान्! दुनिया भर के ताकत त इनके कंठ में बा. अइसे बोल रहल बाड़े जइसे सौ गो लाउडस्पीकर एक साथे बोलत होखे. सासुजी उनका जाये के बाद रो के बुदबुदाए लगली. ई घर के बड़ दमाद हउवनï! ऊ दमाद दूसर होखेला जे ससुराल में धीमे बोलेला आ आपन आ अपना ससुराल, दूनों के इज्जत केे रक्षा करेला. बाकिर एकरा से इनका का मतलब? दूसरा के इज्जत नीलाम कइला के बाद त पेट के पानी पचेला.

रामसुख लाल के दूसरका विशिष्टï पहचान बा कि अटल कंजूस हवन. निश्चय ही ई सुख आ दु:ख के मौका प पहुंच के ओकरा मोताबिक शाब्दिक ऊर्जा खर्च करेले. बाकिर रुपया पैसा खरचे में इंहा के दोसरे नजरिया ह. कहीं रिस्तेदारी में कबो मिठाई के डिब्बा आ शादी बिआह में पांच रुपया से अधिक के नेवता आ शगुन देहले होखीं. ई देखे आ सुने के कबो नइखे मिलल. इंहा के साफ-सुथरा पोशाक में हाथ हिलावत आइला आ हाथ हिलवते रूखसत हो जाइला. एकरा प केहू कही का, तबो एक आध आदमी त मिलिए जाला जे नीचे मुंह क के एगो अंगुली के संकेत के बाद कहिये देला कि बड़ा घाघ हउवन. कछुआ के खोल जइसन कवनों चीज के असर ना होखे. महिला लोग कबो-कबो एक-दूसरा के देख के मटकी मारके बड़ा हंसे लागेली सन. गजब के बात त ई भइल कि ई लाइलाज कंजूस आ आपन इकलौता इंजीनियर बेटा के शादी एगो गरीब खानदान के शिक्षित बेटी से कर देहले बाड़े, जेकरा के लइका पसंद करत रहे. कवनो लेन-देन के बगैर समारोह सादगी से संपन्न भइल. प एह प आम लोग के राय ई बा कि अइसन मक्खीचूस दहेज ना ले, संभवे नइखे. सादगी-वादगी त नाटक बा.

शादी के बाद एगो उनकर मुंहलगुआ साला चेतन छेड़ देहले. जीजा, सुनतानी रउआ बड़ा खजाना मिलल बा. अकेले पचा लेहनी आ डकरबो ना कइनीं.

रामसुख लाल एकर बुरा ना मानेनी, बाकिर कहकहा लगा के स्वयं मसखरी प उतर आवे ले. उहां के कहकहा बड़ा अनमोल होला, जइसे गंभीर जुकाम में केहु गुनगुना पानी के गरारा करत होखे, त उहां के नहला प दहला लगाइले-घर भर देवर, भतार से ठट्ठा जाके अपना बहिन से पूछीं, सब कुछ मालूम हो जाई.

कुछ समय बाद के बात ह, एक दिन रामसुख लाल अपना ससुराल पहुंच के, बिना कवनो भूमिका के बोलले कि मीता के शादी खातिर तइयार हो जाएके, एगो बड़ा हीरा लइका मिल गईल बा. बीएससी पास बा आ रेलवे में ड्राइवर के नौकरी में चुना गइल बा. सुंदर बा, विचारवान बा, ओकर आ मीता के जोड़ी खूब अच्छा होई. कवनो झंझट के बात नइखे. बस एक दूसरा के पसंद कईला के बात बा.

ए राम, खलासी-ड्राइवर!' सासु जी मत्थे के आंचल के कुछ आगे खींच के असंतोष प्रकट कर दिहनीं. रामसुख लाल जोर के कहकहा लगा के आपन राय प्रकट कइलन, जइसे लाउडस्पीकर प बोलल जात होखे, आज हमरा समझ में आ गइल कि रउरे चिक-चिक से मीता के शादी तय नइखे हो पावत. राउर ई सोचल ठीक बा कि मीता सुंदर आ सुकांत बाड़ी. एमए पास बाड़ी आ बीएससी पास लइका के पहिले ट्रेनिंग के क्रम में इंजिन प खलासी के जइसन काम करे के पड़ी. सही मायने में त ड्राइवर ऊ बाद में बनीहन आ कुछ साल के बाद तरक्की करिहें त फोरमैन बनिहें. अम्मा जी, रउआ ई सोचीं कि अब अइसन दमाद मिल गइला के बाद रउआ परिवार के चारो धाम के इच्छा पूरा हो जाई. अगर रुपया-पइसा के कमी के बात सोचतानी त चिन्ता कइला के बात नइखे. खुशी-खुशी जेतना संभव हो सके खर्च करब आ बाकी के जिम्मा हमार. अगर लइकी के घर में बइठावे के होखे त साफ-साफ बतार्इं....एही बुलंद आवाज में अप्रिय स्पष्टïवादिता से आतंकित होके सासुजी अपना मालिक के तरफ देखली आ पति भी ओही अंदाज में पत्नी के घुड़क दिहले आ ऊ बीच में कुछुओ ना बोल पवली. एकरा बाद रूकावटे ना भइल आ शादी भी कुछ समय के बाद तय हो गइल. बाकिर एकर श्रेय भी रामसुख लाल के ना मिलल. उल्टे पीठ पाछे उनकरा विरुद्घ अफवाह जइसन फुसफुसाहट चले लागल, जइसन ताज ओहिसन शोभा. जइसन खुद फालतू आ फटीचर बाड़े ओहिसने लइका ढूंढ के लेआइल बाड़े. आपन इकलौता इंजीनियर बेटा के शादी एगो गरीब खानदान के शिक्षित बेटी से कर देले बाड़े, जेकरा के लइका पसंद करत रहे.

(साभार: संडे इंडियन)


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लेखक परिचय:-

नाम - श्रीराम लाल भा अमरकान्त
जनम स्थान - बलिया उत्तर प्रदेश
जनम - 1 जुलाई 1925
देहवसान - 17 फरवरी 2014
विधा - काथा अउरी उपन्यास
भाखा - हिन्दी अउरी भोजपुरी 


रचना - जिंदगी और जोंक, देश के लोग, मौत का नगर अ उरी ग्राम सेविका आदि
पुरस्कार - साहित्य अकादमी 2007, भारतीय ज्ञानपीठ  

अंक - 43 (1 सितम्बर 2015)

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