सम्पादकीय: अंक - 36 (14 जुलाई 2015)

आठवीं अनुसूची में भोजपुरी

केन्द्र सरकार के हाई लेवल कऽ एगो कमेटी जेवन भोजपुरी सहित अड़तीस गो भाखन के आठवीं अनुसूची में डाले खाती बिचार करत रहलि हऽ ऊ सामिल करे से मना क देले बे। कमेटी सात गो पैमाना गिनावले बे जेवना के दमे एगो भाखा के आठवीं अनुसूची में डालल जा सकेला। ऊ पैमाना बाड़े सऽ-
  1. “जनगणना के हिसाब से पिछिला तीन दसकन (तीस साल) में कम से कम पाँच लाख लोग ओ भाखा के बोले वाला होखे के चाहीं”। ई सभकरा गियान बा कि पांच करोड़ से अधिका लोग ए बेरा भोजपुरी बोले वाल बाड़े।
  2. स्कूल में पढ़े-पढावे खाती ओ भाखा के परियोग कइल जात होखे।” जे भोजपुरिया बा ओकरा बढिया से मालूम बा कि भले किताब हिन्दी में बाड़ी स बाकिर भोजपुरिए मे पढाई होला औरी बिहार में भोजपुरी पढावल जाले।
  3. “कम से कम पचास साल से ओ भाखा के होखे के चाहीं”। बाबा चौरंगीनाथ के घरी से ले के जेवन सातवीं-आठवीं सताब्दी मानल जाला, आजु ले भोजपुरी पढल-लिखल जाला। पहिले एकर लिपि कैथी रहे आज देवनागरी बे।
  4. “साहित्य अकादमी ओकर परचार-परसार करत होखस”। बिहार, दिल्ली औरी उपी में भोजपुरी साहित्य अकादमी बाड़ी सऽ।
  5. “जनगणना के हिसाब से ऊ भाखा पास-पड़ोस के जवार में परियोग कइल जात होखे”। भोजपुरी उपी, बिहार, एमपी, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ औरी देस के सगरी बड़ सहरन में बोलल जाले ऊ चाहें मूल निवासी होखस भा प्रवासी।
  6. “नया बनल राज्यन में ऊ भाखा राजभाखा के दरजा पवले होखे”। भोजपुरी आज केवनो राज्य के राजभाखा नइखे।
  7. “देस के बँटवारा के पहिले बोलल जात होखे औरी आजुओ बोलल जात होखे”। भोजपुरी देस बटला से पहिले औरी आजुओ बोलल जाले।
जदि देखल जाओ तऽ इहे सात गो पैमाना बावे जेवना में छव गो पर भोजपुरी खारा उतरत बे। बस छउआँ पैमाना पर मार खात बे। एसे आठवीं अनुसूची में भोजपुरी के सामिल करे के माँग करे से पहिले भोजपुरी के केवनो राज्य के राजभाखा बनावे के माँग करे के होई। औरी ई काम उपी, बिहार भा झारखण्ड में हो सकेला काँहे कि पुरा पूरबी उपी औरी पछिमी बिहार भोजपुरी बोलेला औरी झारखण्डो में खुब भोजपुरी बोलल जाले। केन्द्र सरकार के गारी दिहला से काम ना चली। कुछ लोग भावुक हो सकेला लेकिन सरकार केवनो होखे ओकरा ए बात के धियान राखे के परेला कि कुछु अइसन ना होखे कि बवाल खड़ा हो जाए। जदि सरकार पैमाना के पुरा ना भइला के बादो भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में डाल दी तऽ 37 गो औरी भाखन के डाले के परी औरी ई एतना आसान नइखे।
भोजपुरी के ले के बहुत लोग तरह-तरह के परियास कर रहल बा औरी ई बढ़िया बा। होखहीं के चाहीं। परियासे कइला कुछऊ होला। इसे बात भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में सामिल कइलो के ले के बा। बाकिर परियास कइला के ई मतलब ना होला कि मूंह में जेवन आई तेवने बोले सुरु कऽ दिहल जाओ। ई बहुत जरूरी बा कि केवनो कहल जाओ पर भाखा पर धियान दिहल जाओ। भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में सामिल करे के माँग कहीं से गलती नइखे। माँग होखे के चाहीं औरी होइबे करी। लेकिन ओकरा खाती राजनैतिक रुप से केहू के गारी दिहला के काम नइखे। औरी नाही एकरा खाती राजनीति कइला के काम बा। रहल बात सरकार भा रिपोर्ट के मना कइला तऽ सरकार औरी रिपोर्ट के काम हऽ मानल भा ना मानल पर का एकरा खाती कपरा खोल के नाचल जरुरी नइखे। खैर जे भोजपुरी के माई-बाप बन रहल बा ओकरा तऽ ना बुझाई काँहे कि भगवान बने में देरी कइसे बरदास होई? 
अंक - 36 (14 जुलाई 2015)
------------------------------------------------------------------------------
<<<पिछिला                                                                                                                      अगिला>>>

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.