प. व्रतराज दुबे "विकल"

भोजपुरी के पुरातन धरती चंपारण पर बाल्मीकि नगर निवासी भोजपुरी के वयोवृद्ध कवि भोजपुरी भाषा में पहिलका महाकाव्य पं. व्रतराज विकल द्वारा रचित 'श्री मद करुनाकर रामायन' एगो ऐतिहासिक काम कहाई। इहाँ के पाहिले एह भाषा में केहू दोसर साहित्यकार राम महाकाव्य के रचना ना कर सकल रहे। इ रचना चंपारण कके भोजपुरिया माटी के एगो महान थाती कहाई।
एह रामायण में साथ गो कांड बा। रामचरित मानस नियर बालकाण्ड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्नर कांड, लंका कांड आउर उत्तर कांड।
राम जन से लेके रामजी के सरजू पर समाधि पर कवि विकल जी भोजपुरी में जवन रचना रचले बानी उ इ भाषा के एगो महान कृति बा। एह महाकाव्य में दोहा, चौपाई, सोरठा आ कुंडलियाँ छंद के बड़ा सुन्दर प्रयोग भईल बा। भोजपुरी भाषा के शब्दकोष केतना लमहर बा, पोढ़गर बा एह महाकाव्य के पढला के बाद इहो सीधे बुझात बा।
आलंकारिक भाषा शब्द शक्ति के खल बेखल के प्रयोग से कवि के काव्य शक्ति त झलकेला, भोजपुरी भाषा ला उनकर समर्पण ऐतिहासिक बा। बालकांड में भगवान के भक्ति का ह एकर वर्णन करत उ विकल जी आपन महाकव्य में वर्णन करत बानी -
" करुनाकर के गोड ह बाल कांड छाछात
के देला उ जीव में भगती के शुरुआत।" (श्री मद करुनाकर रामायन' बालकांड से)
अयोध्या कांड के चर्चा करत कवि के कहनाम बा -
"कांड अजोधा धरम ह, राखे खुलल दुआर
बांचे जे सरधा सहित, होखे तुरत उद्धार।" (श्री मद करुनाकर रामायन' अयोध्या कांड से)
अरण्य कांड में कवि अपना लेखनी के चमत्कार देखावत लिखत बानी -
"ह अरण्य ई पेट अस, सभकुछ जहाँ समाये
पोसत पालत जीव के, मुक्ति दे सरियाये।"
......................................................
"दुर्लभ गति सुर्लभ करे, रहे कांड अरण्य
जीव जटायु अस तरे, प्रभु के बने अनन्य।"
किष्किन्धा कांड में कवि विकल जी कहत बानी -
"रघुवर के जसगान जे करे हीया के खोल
जिनगी में ओकर कहीं घटे कबो ना मोल।"
सुन्नर कांड में व्रतराज विकल जी हनुमान जी के भगती के प्रभाव के अद्भुत वर्णन कइले बानी जवन उहाँ के काव्य शिल्प में महारत के बखान करत बा -
"मन से करत आराधना, हनुमत होत सहाय
जगमग आ के जीव के, कार सज्जी बन जाय।"
लंका कांड के महातम पर कवि विकल जी के रचल दू गो दोहा पूरा लंका कांड के ऐना खानी झलका देत बा -
"करनी के फल के संगे देला मुक्ति धाम
एही के प्रभाव से परसन होलें राम।"
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"सरन घटावे धीर के, हरन कटावत पाप
जुग जुग के चिंता हरे, लंका अपने आप।"
चंपारण के वरिष्ठ कवि डॉ गोरख मस्ताना जी एह श्री मद करुनाकर रामायण के सन्दर्भ में लिखत बानी - "सांच कहीं त कवि विकल जी के एगो महाकवि कहल जाव त एहमे कवनो झूठ ना हो॥"
एगो महाकवि के कूल्ह गुण संगे प्रबंध काव्य श्री मद करुणाकर रामायण के रचना के उत्तर कांड में कवि विकल कहत बानी -
" राम कथा काटे इहें, कई जनम के पाप
पढत सुनत जे ए कथा के, मेटे सजी सराप"
चम्पारन के सौभाग्य बा जहवां से रामचरित पर विकल जी श्री मद करुनाकर रामायण जइसन महाकाव्य के भोजपुरी भाषा में रचके एगो महान काम कहल क देले बानी। एकरे ले इतिहास में अमरता पावेवाला काम कहल जाला। उहाँ के एह काम से भोजपुरी माई त धन्य भइले बाड़ी, चंपारण के माटीयो धन्य हो गईल।
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लेखक़ परिचय:-

पिता: डॉ गोरख प्रसाद मस्तना 
माता: श्री मती चिंता देवी
जन्म: 4 मार्च, 1974, बेतिया, पश्चिम चंपारण, बिहार 
शिक्षा: रिसर्च स्कॉलर (भोजपुरी) विषय " भोजपुरी साहित्य के विकास में चंपारण के योगदान", 
एम ए (त्रय) (इंग्लिश, हिंदी भोजपुरी), एम फिल (इंग्लिश)
स्नातकोतर डिप्लोमा (अनुवाद, पत्रकारिता व जनसंच्रार), सिनिअर डिप्लोमा (गायन)
सम्प्रति: संपादक - भोजपुरी ज़िन्दगी, सह संपादक - पुर्वान्कूर, (हिंदी - भोजपुरी ), साहित्यिक संपादक - डिफेंडर (हिंदी- इंग्लिश- हिंदी), रियल वाच ( हिंदी), उपासना समय (हिंदी), 
भोजपुरी कविताएँ एम ए (भोजपुरी पाठ्यक्रम, जे पी विश्वविद्यालय ) में चयनित " भोजपुरी गद्य-पद्य संग्रह-संपादन - प्रो शत्रुघ्न कुमार 
सदस्य : भोजपुरी सर्टिफिकेट कोर्स निर्माण समिति, इग्नू, दिल्ली 
सदस्य: आयोंजन समिति - विश्व भोजपुरी सम्मलेन, दिल्ली, महासचिव - पूर्वांचल एकता मंच,
राष्ट्रीय संयोजक - इन्द्रप्रस्थ भोजपुरी परिषद् 
महासचिव - अखिल भारतीय भोजपुरी लेखक संघ, दिल्ली 

प्रचार मंत्री - अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मलेन, पटना 

प्रकाशन: भोर भिनुसार (भोजपुरी काव्य संग्रह), शब्दों के छांह में (हिंदी काव्य संग्रह), Bhojpuri Dalit Literature- Problem in Historiography
प्रकाश्य: भोजपुरी आन्दोलन के विविध आयाम, भोजपुरी का संतमत- सरभंग सम्प्रदाय, Problem in translating Tagore's novel - The Home and The World, अदहन (भोजपुरी के नयी कविता)
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