दू टुंग बात

दोसर भाखा आ साहित्य खानी भोजपुरियो में कविता के लिखनिहार लोग बेसी बा। हर भाखा आ साहित्य खानी भोजपुरियो में नीमन आ बाउर रचना के आवल आ स्वागत जारी बा। रचना सब में नयापन भी बाटे आ दोहरावन भी। नाया पुरान सब तरह के चीझ पढ़े क चाहीं। नाया पढ़े से रचना के मौजूदा गति,लय आ ट्रेंड के पाता चलत रहेला। साथ हीं पुरान पढला से शब्द संस्कार,"कहन" के तौर-तरीका आ मांटी के खांटी गंध से साक्षात्कार होखी।

कविता रचला के पहिले ओह में अपना के उतारल जरूरी बा। कविता में उतरला पर रचना के बीया दिल-दिमाग के गर्भ में पोसाई आ समय पर अईसन रचना होखी जेकरा में जिनगी के पानी छलछलाई आ लय फूटी माटी के। कविता के समझल,ओकरा में उतरल आ धारन कइल दुरूह काम बा बाकि सरोकार तs बनावहीं के पड़ी।
उत्तर आधुनिक अमेरिकी कविता के अगुआ कवि मार्क स्ट्रेंड (1934) के कविता बा---

If a man under stands a poem
he shall have troubles
If a man live with a poem
he shall die lonely
If a man conceives of a poem
he shall have one less child
(Mark Strand)

अगर केहू कविता के समझल
जानीं उ दिक्कत में पड़ल
अगर केहू कविता के जवरे-जवरे जीयल
समझीं कि उ तन्हा मुअल
जे केहू कविता के गरभ में धारन कइल
ओकर एगो लड़िका गइल

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लेखक परिचय:-

कवि एवं लेखक
चंपारण(बिहार)

E-mail:- gulrez300@gmail.com

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